अलीगढ़ 15 मई को न्यायमूर्ति डॉ. कौसर एडप्पागथ, न्यायाधीश, केरल उच्च न्यायालय ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मलप्पुरम केंद्र का दौरा किया और मुख्य अतिथि के रूप में कानूनी सहायता क्लिनिक, विधि विभाग द्वारा आयोजित सत्र समापन समारोह में भाग लिया।
न्यायमूर्ति एडप्पागथ ने अपने संबोधन में न्याय व्यवस्था तक समाज के वंचित वर्गों की पहुंच सुनिश्चित करने में ऐसे क्लीनिकों की कानूनी सहायता की भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने जोर देकर कहा कि न्याय केवल संपन्न वर्ग तक सीमित विशेषाधिकार नहीं होना चाहिएय यह हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और कानूनी सहायता क्लीनिक इस अंतर को पाटते हैं और सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करते हैं।
न्यायमूर्ति एडप्पागथ ने युवा वकीलों से आग्रह किया कि वे अपनी पेशेवर उपलब्धियों के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए आउटरीच कार्यक्रमों के लिए समय निकालें। उन्होंने उनसे स्वस्थ कार्य नैतिकता और राष्ट्र और कानूनी व्यवस्था के प्रति जिम्मेदारी की गहरी भावना पैदा करने का आह्वान किया। उन्होंने मूल संरचना के दर्शन पर जोर दिया, जो आर्टिकल 39 (ए) के अनुसार सभी के लिए न्याय तक पहुंच को अनिवार्य बनता है और इस बात पर प्रकाश डाला कि अनुच्छेद 14 और 21 राज्य के लिए न्याय तक पहुँच के लिए सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाता है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. नसीमा पी.के. ने कहा कि दुनिया में जहां आपके साथ असमान व्यवहार किया जाता है और आपको परेशान किया जाता है, वहां आप समानता की सांस नहीं ले सकते। कानूनी सहायता प्रकोष्ठ एक वकील की अनुकंपा भूमिका को स्थापित करने का एक अनिवार्य साधन है।
यह पेशा अन्यथा वास्तविक नहीं होगा। कानूनी सहायता क्लिनिक दिमाग खोलने में सहायक है और इसमें काम करने वाले छात्र उन सैनिकों से कम नहीं हैं जो बड़े सामाजिक परिवर्तन के लिए काम करते हैं।
इससे पूर्व अपने स्वागत भाषण में डॉ. शाहनवाज अहमद मलिक (प्रभारी निदेशक एवं विधि विभाग के समन्वयक) ने विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
डॉ शाइस्ता नसरीन ने कानूनी सहायता क्लिनिक द्वारा की जाने वाली सेवाओं की एक संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का संचालन श्री मोहसिन चैहान (छात्र संयोजक) ने किया, जबकि सुश्री सिदरा फातिमा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।