दादरी में एक परिवार बसा हुआ था जिसके मुखिया का नाम अखलाक था | 28 सितम्बर 2015 को कुछ शरारती तत्वों ने मंदिर के लाउडस्पीकर से यह अफवाह फैलाई की अखलाक के फ्रीज में बीफ है फिर क्या था यह खबर जंगल के आग की तरह फेल गई इसके परिणाम स्वरूप कुछ फिरंज एलिमेंट एकत्रित हुए और अखलाक के साथ एक खूनी खेल खेला जिसे आजकल मॉब लांचिंग कहते हैं|
फॉरेंसिंक रिपोर्ट से भी यह सिद्ध हो गया है मटन था बीफ नहीं/राज्य सरकार मूकदर्शक बनी हुई थी कानून व्यवस्था ठीक करने से ज़्यादा शाख बचाने में लगी थी देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय के सामने एक ख़ास राजनेतीक दल को पराजित करने का टारगेट रख दिया जाता है |
रवि सिसोदिया दादरी के आरोपी को तिरंगे में लपेटकर दफनाना तिरंगे का अपमान है या नहीं यह भी तय नहीं हो पाया|
अब सबसे बड़ा सवाल यह है भारत का सबसे बड़ा
क्या उसको यह अधिकार नहीं कि अपने मुद्दे पर वोट करें?
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मोहम्मद साजिद अली