23 दिसंबर को अलीगढ़ इगलास मैं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की रैली हुई उस दौरान अलीगढ़ से समाजवादी पार्टी के कई पूर्व विधायक और नेतागण पहुंचे थे।
रैली के दौरान मंच पर 10 साल से दो बार विधायक रहे पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्लाह और पूर्व विधायक जफर आलम और अलीगढ़ के पूर्व सांसद चौधरी विजेंदर सिंह आदि और अन्य कई पूर्व विधायक मौजूद थे।
जब रालोद प्रमुख जयंत चौधरी सहयोगी के साथ मंच पर खड़ा होकर हाथ खड़ा कर रहे थे उसी दौरान पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्लाह उनके बीच में आना चाहे जिसे जयंत चौधरी ने मना कर दिया या यह कह लीजिए कि पहचानने से इंकार कर दीया और इसकी खबर एम आई एम प्रमुख ओवैसी तक पहुंच गई फिर क्या हुआ कंधे पर बैठा लिया।
ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख एवं हैदराबाद सांसद बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने अपने जलसे के दौरान कहा कि अलीगढ़ का 10 साल से रहा विधायक हाजी जमीर उल्लाह को जयंत चौधरी ने पहचानने से इंकार कर दिया और अपने साथ हाथ उठाने से मना कर दिया जमीर उल्लाह तुम आओ यह मंच तुम्हारा है आओ मेरे कंधे पर बैठ जाओ तुम मेरे नेता बन जाओ मैं तुम्हें अपने कंधे पर बैठाने को तैयार हूं,
एम आई एम प्रमुख ओवैसी यहीं तक नहीं रुके आओ मेरे कब्र पर मेरे लाश पर खड़े हो जाओ और नेता बन जाओ।
जहां किसान आंदोलन के दौरान धर्म जाति और पुरानी दुश्मनी भुलाकर एक साथ आए जाट, मुसलमान और सिख और फिर असद ओवैसी से अखिलेश यादव जी का गठबंधन ना करना और जयंत चौधरी से गठबंधन करना और फिर अखिलेश के पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्लाह का इस तरह से मंच पर इनकार करना यह जाट मुस्लिम एकता की पहली तोहीन के रूप में देखा जा रहा है,
और अभी यह हाल है तो आने वाले वक्त अगर विजई हुआ तो फिर क्या होगा यह पिछले कुछ वर्ष को देखते हुए आने वाला वक्त का अंदाजा लगाया जा सकता है हालांकि समाजवादी पार्टी के प्रमुखों का इस पर अभी कोई खास टिप्पणी नहीं आया है तो फिर क्या जो असदुद्दीन ओवैसी कह रहे थे वह सही कह रहे थे।
आपको क्या लगता है आप अपनी राय कमेंट में दें।
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