Amu News अलीगढ, 2 अप्रैलः अली सोसाइटी द्वारा आयोजित इमाम अली (अ.स) की शहादत की मजलिस, बैत-उल-सलात, अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 1 अप्रैल, 2024 को रात 7ः30 बजे शुरू हुई।
इस वार्षिक यादगार शहादत की मजलिस की शुरुआत कुरान की तिलावत से हुई जिसे जनाब अख्तर साहब ने पढ़ा।
उसके बाद जनाब मीर रशीद हुसैन साहब ने इमाम अली (अ.स.) के बारे में शोक कविताएं पेश कीं।
इसके बाद जनाब रज़ा हैदर साहब ने अपने शब्दों में उद्धृत करते हुए कहाः
‘कातिल लिए तलवार पसे पुश्त खड़ा है,
यह जान के सजदे में चले जाओ तो जाने।”
बाद में, रेवरेंड खतीब, रायबरेली के इमामे जुमा जनाब मौलाना शाहवर काज़मी साहब ने इमाम अली (एएस) के बारे में गहरी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों के दिलों में इमाम अली (अ.स.) के लिए प्यार है, उनकी भक्ति नरक की आग के खिलाफ ढाल के रूप में काम करती है।
उन्होंने आगे कहा कि इमाम अली (अ.स.) हमेशा प्रकाश की किरण रहे हैं, मानवता को धार्मिकता और मार्गदर्शन के मार्ग पर मार्गदर्शन करते रहे हैं
मौलाना शाहवर साहब ने अपने ज्ञान के शब्दों के माध्यम से इमाम अली की शिक्षाओं, व्यक्तिगत ताकत और सामाजिक प्रगति की शाश्वत विरासत पर प्रकाश डाला।
अंत में, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों ने शोक प्रस्तुत करते हुए नोहा पड़ा और मातम किया।
यह स्मारकीय आयोजन इनके समर्पित प्रयासों के बिना संभव नहीं होता।
इंतजामिया कमेटी ने प्रोफेसर मुहम्मद गुलरेज़, वाइस चांसलर और मुख्य संरक्षक, डॉ. सैयद मोहम्मद असगर, संरक्षक, प्रोफेसर आबिद अली खान, अध्यक्ष, प्रोफेसर तफ़सीर अली, उपाध्यक्ष, डॉ. वसी अहमद जैदी, कोषाध्यक्ष, डॉ. अली जाफ़र आबिदी, लेखा परीक्षक, डॉ. हुसैनी एस. हैदर मेहदी, डॉ. सैयद हुसैन हैदर, श्रीमती ज़ैनब अर्जमंद वसीम आदि का धन्यवाद ज्ञापित किया।