अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बिरादरी ने आज भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और एएमयू के पूर्व चांसलर जस्टिस एएम अहमदी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया, जिनका कल निधन हो गया था। इस सन्दर्भ में विश्वविद्यालय के पॉलिटेक्निक सभागार में शोक सभा का आयोजन किया गया।
शोकसभा की अध्यक्षता करते हुए एएमयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि जस्टिस अहमदी एक त्रुटिहीन पेशेवर अखंडता, समर्पण और उच्च दर्जे की प्रतिष्ठित के धनि व्यक्ति थे। एएमयू का उनके साथ घनिष्ठ संबंध था क्योंकि उन्होंने इसके चांसलर के रूप में दो कार्यकाल पुरे किये।
प्रोफेसर मंसूर ने न्यायमूर्ति अहमदी द्वारा प्रदान की गई अत्यधिक सराहनीय सेवाओं का वर्णन किया और उनके निधन पर गहरे दुख और शोक की भावना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति अहमदी को न केवल भारत के एक प्रतिष्ठित मुख्य न्यायाधीश के रूप में ही नहीं बल्कि एक अनुकरणीय इंसान के रूप में भी याद किया जाएगा, जो अपने सर्वोच्च आदर्शों के लिए जाने जाते थे।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि उनकी मृत्यु एएमयू बिरादरी के सदस्यों के लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। मैं उनके परिवार और दोस्तों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ और जन्नत में उनके लिए एक उच्च स्थान की प्रार्थना करता हूँ।
एएमयू रजिस्ट्रार, श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) ने शोक प्रस्ताव पढ़ा और दिवंगत आत्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय छोड़ने के बाद, न्यायमूर्ति अहमदी सितंबर 2003 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बने और जनवरी 2010 तक इस पद पर दो कार्यकाल तक रहे।
अंत में दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
बैठक में विश्वविद्यालय के अधिकारी, विभिन्न विभागों के डीन और अध्यक्ष शामिल हुए।