अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय शुरू से ही उर्दू भाषा के प्रचार और विकास के लिए समर्पित रहा है और वर्तमान विश्वविद्यालय प्रशासन भी उर्दू के प्रचार, प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है।
विश्वविद्यालय के सभी भवनों और विभागों के नाम और आधिकारिक लेटरहेड उर्दू में भी हैं, लेकिन हाल ही में यह पता चला कि कुछ विभागों के लेटरहेड में उर्दू नहीं है, इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत इसका संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की और रजिस्ट्रार की ओर से इस संबन्ध में एक परिपत्र जारी किया गया है। जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि सभी आधिकारिक लेटरहेड को अंग्रेजी, उर्दू और हिंदी में मुद्रित किया जाना चाहिए।
इस संबंध में कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि उर्दू हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय उर्दू के प्रचार और अस्तित्व के लिए अपने प्रयासों को जारी रख रहा है। विश्वविद्यालय में अनिवार्य उर्दू पेपर के परीक्षा के प्राप्त अंको को जोड़ा जाता है। इसके अलावा, अलीगढ़ पत्रिका, तहजीब-उल-अखलाक और फिक्र-ओ-नजर प्रतिष्ठित उर्दू पत्रिकाएँ हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय द्वारा नियमित रूप से प्रकाशित किया जा रहा है। एएमयू गजट अंग्रेजी और उर्दू में भी प्रकाशित हो रहा है।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा, ‘यह उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय की उर्दू अकादमी गैर-उर्दू भाषी छात्रों के लिए उर्दू में एनएमटी पाठ्यक्रम चलाती है जिसमें भारतीय और विदेशी छात्रों के अलावा देश के विभिन्न राज्यों के छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। उन्होंने कहा कि उर्दू बहुत से लोगों की मातृभाषा है और अमुवि प्रबंधन यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि वे सभी अपनी मातृभाषा का उपयोग करें ताकि उर्दू एक आधुनिक भाषा के रूप में विकसित हो सके।‘
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस बात पर अफसोस जताया है कि उर्दू के प्रचार के लिए एएमयू की बहु मूल्य सेवाओं को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है और एक सीमित वर्ग को इन सेवाओं पर चर्चा करने में शर्म महसूस होती है और उनका एक मात्र उद्देश्य विश्वविद्यालय प्रशासन को बदनाम करना होता है।