एएमयू में पद्मभूषण प्रोफेसर रईस अहमद की जन्मशती मनाई गई
Aligarh Muslim University News अलीगढ़ 19 अक्टूबरः पद्मभूषण प्रोफेसर रईस अहमद (1923-1995) के जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग द्वारा ‘भौतिकी में भविष्य की दिशाएं’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
पद्मभूषण प्रोफेसर रईस अहमद ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग के प्रमुख और शैक्षणिक कार्यक्रम के निदेशक रहे।
भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम सज्जाद अतहर ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रोफेसर रईस अहमद को एक दूरदर्शी संस्थान निर्माता और विलक्षण प्रतिभा का भौतिक विज्ञानी करार दिया।
प्रोफेसर रईस अहमद का जन्म 1 फरवरी 1923 को अलीगढ़ से सटे बुलन्दशहर जिले के गुलावटी में हुआ था। उन्होंने ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.एससी. की पढ़ाई पूरी की और बाद में प्रिंसटन विश्वविद्यालय से विज्ञान और इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
उन्होंने 1948 में एएमयू में भौतिकी विभाग में एक व्याख्याता के रूप में अपना शिक्षण करियर शुरू किया। उन्होंने अपनी पीएचडी. की पढ़ाई 1954 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स में पूरी की। इसके बाद, उन्होंने 1957-58 के दौरान प्रतिष्ठित नफिल्ड फाउंडेशन फेलोशिप के तहत लंदन विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टरल शोध कार्य शुरू किया।
प्रोफेसर अहमद ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) में निदेशक की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाई, जिस पर वह 1977 तक रहे।
1978 से 1981 तक उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य किया। 1982 में, उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) में उपाध्यक्ष का पद संभाला, जहां उन्होंने मेरिट प्रमोशन योजना और यूजीसी नेट योजना तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने पूरे भारत में अनुसंधान छात्रवृत्ति और विश्वविद्यालय शिक्षण पदों में क्रांति ला दी।
अपने यूजीसी कार्यकाल के दौरान, उन्होंने शिक्षा के लिए एक समर्पित टीवी चैनल शुरू करने की वकालत की और 1986 से 1988 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सलाहकार के रूप में नई शिक्षा नीति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में 1988 से 1990 तक वह एजुकेशनल कंसल्टेंट्स (इंडिया) लिमिटेड के अध्यक्ष रहे। इन भूमिकाओं में, उन्होंने भारत और विदेशों में लाखों छात्रों की शैक्षिक आकांक्षाओं को पूरा करते हुए, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत के हर जिले में एक जवाहर नवोदय विद्यालय खोलने की अवधारणा का जन्म राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 के एक हिस्से के रूप में हुआ था, जिसका उद्देश्य हर जिले में वंचित ग्रामीण समुदायों से प्रतिभा को बढ़ावा देना और पोषण करना था।
सेमिनार में पद्म भूषण प्रो. इरफान हबीब (सीएएस, इतिहास विभाग, एएमयू), पद्मश्री प्रो. पी.आई. जॉन (इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज्मा रिसर्च, अहमदाबाद), प्रो. सिराज हसन (पूर्व निदेशक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स), प्रो. नरेश दाधीच (पूर्व निदेशक, इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स), प्रो. श्याम सुंदर अग्रवाल (एफ. एमेरिटस वैज्ञानिक (सीएसआईआर), प्रो. एस.के. सिंह (पूर्व कुलपति, एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय), प्रो. वसी हैदर, अन्य शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया।