अलीगढ़, 6 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मौलाना आजाद पुस्तकालय ने ‘अली सोसाइटी’ के सहयोग से हजरत अली इब्ने अबी तालिब की जयंती ‘अली दिवस’ के अवसर पर दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों की एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जो 11 फरवरी, 2023 तक इतिहास और संस्कृति के प्रेमियों के लिए खुली रहेगी।
कुलपति ने प्रदर्शनी का निरीक्षण किया और हस्त लिखित पांडुलिपियों, पवित्र कुरान की विभिन्न प्रतियों और विभिन्न भाषाओं की अन्य दुर्लभ पुस्तकों के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिसमें नहज-अल-बलागा की 900 साल पुरानी प्रति, भाषणों का प्रसिद्ध संग्रह और अन्य शामिल हैं। हजरत अली की सूक्तियां नहज-अल-बालागा की यह प्रति उप-महाद्वीप में विद्यमान सबसे पुरानी प्रति है।
यूनिवर्सिटी लाइब्रेरियन प्रो निशात फातिमा और लाइब्रेरी के ओरिएंटल सेक्शन के प्रभारी डॉ टी एस असगर ने कुलपति को प्रदर्शनी में प्रदर्शित पांडुलिपियों के ऐतिहासिक मूल्य और अकादमिक प्रासंगिकता के बारे में जानकारी दी।
प्रो मंसूर ने विश्वविद्यालय लाइब्रेरी के विभिन्न सेक्शंस का भी निरीक्षण किया और पुस्तकालय में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को अद्यतन करने पर जोर दिया।
पुस्तकालय के प्रदर्शित दुर्लभ संग्रहों में हजरत अली की प्रशंसा में ‘कसीदा-ए-हाफिज’ शामिल है, जो खत-ए-नाखुन की अजीबोगरीब शैली में तेज नाखूनों के साथ लिखा गया है, नहज-अल-बलागा की विभिन्न पुरानी प्रतियां, और एक टुकड़ा कुफिक शैली में चर्मपत्र पर हाथ से लिखा गया पवित्र कुरान, जिसके बारे में माना जाता है कि इसे स्वयं हजरत अली ने लिखा था, प्रदर्शनी का मुख आकर्षण हैं।
हजरत अली के जीवन और गुणों का वर्णन करने वाली विभिन्न भाषाओं की पुस्तकें भी प्रदर्शनी का हिस्सा हैं।
इस अवसर पर प्रो-वाईस चांसलर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज, प्रोफेसर एम सऊद आलम कासमी, डीन, धर्मशास्त्र संकाय, प्रोफेसर सैयद तैय्यब रजा नकवी, अध्यक्ष, शिया धर्मशास्त्र विभाग, प्रोफेसर आबिद अली खान, अध्यक्ष, अली सोसाइटी और अनेक शिक्षक व छात्र उपस्थित थे।