एएमयू ड्रामा क्लब द्वारा ‘करबल कथा’ का मंचन , हो रही है खूब चर्चा

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ड्रामा क्लब ने 10 और 11 सितंबर को कर्बला की प्रसिद्ध लड़ाई को दर्शाने वाले नाटक ‘करबल कथा’ का कैनाडी हाल में मंचन किया।

10 और 11 सितंबर को कर्बला की प्रसिद्ध लड़ाई को दर्शाने वाले नाटक ‘करबल कथा’ का कैनाडी हाल में मंचन किया।

शहर के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में छात्रों, शिक्षकों और मेहमानों ने मानव पीड़ा और मनुष्य की लालची और भौतिकवादी प्रकृति का अवलोकन किया, जबकि ऐतिहासिक रक्तपात को ऑर्केस्ट्रा पिट और फ्लाई लॉफ्ट पर विशेष प्रभाव के साथ याद करते हुए दृश्यों और रोशनी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।

आसिफ नकवी द्वारा लिखित और मुज़म्मिल हयात भवानी द्वारा निर्देशित नाटक में टीवी अभिनेता शाह ज़ेब खान ने रावी की मुख्य भूमिका निभाई जबकि क्लब के अनिक, मुअज्जम, मानव, पीयूष, माज़, फ़राज़, ऋषभ, काज़िम ने नाटक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ज़ैद खान सहायक निर्देशक थे, रिज़वान, अकरम, ज़ैनब और साइमा ने सहायक निर्देशक की भूमिका अदा की।

नाटक के रचनात्मक प्रमुख और सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र के समन्वयक, प्रोफेसर एफ एस शेरानी ने कहा कि हमने डिजिटल प्रोजेक्टर, फॉग मशीन, प्रकाश और ध्वनि प्रभावों के साथ मंच पर युद्ध जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश की, जो यह दिखाने के लिए वास्तविक लग रही थी कि कैसे इमाम हुसैन ने उम्मयद शासक का सामना किया, जो सत्ता हासिल करने और बनाए रखने के लिए उन पर ज़बरदस्ती कर रहा था।

करबल कथा लेखक, प्रोफेसर आसिफ नकवी ने कहा कि यह एक नई सेटिंग के साथ एक पुरानी कहानी है। नाटक समाज की कुरीतियों को उजागर करता है। यह दास्तानगोई परंपरा के माध्यम से प्रवास, शरणार्थियों, भ्रष्टाचार और विस्थापन की समस्याओं को दर्शाता है।

मुख्य अतिथि एएमयू के प्रो-वाइस चांसलर प्रो मोहम्मद गुलरेज़ और जानी-मानी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ हमीदा तारिक ने कलाकारों को 22,000 रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया।

विमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल, प्रो नईमा गुलरेज़ के साथ नाटक देखने के बाद प्रो गुलरेज़ ने कहा कि अगर मैं आज नहीं आता तो बहुत कुछ मुझ से छूट जाता। मैं भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होता रहूंगा।

डॉ हमीदा तारिक ने कहा कि इस नाटक में ऐतिहासिक दृश्य का एक उल्लेखनीय प्रदर्शन है जिसमें दिखाया गया है कि कैसे इमाम हुसैन को एक दुर्जेय सेना द्वारा न तो अपने मिशन से रोका जा सकता था और न ही किसी प्रोत्साहन के अद्घार पर उन्हें किसी अयोग्य शासक के प्रति निष्ठा की शपथ के लिए मजबुर किया जा सकता था। उन्होंने समानता, न्याय और शांति के आदर्शों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के लिए शहीद होने का विकल्प चुना।

प्रोफेसर विभा शर्मा (अध्यक्ष, ड्रामा क्लब) ने इतनी कम उम्र में पूरी निपुणता और कौशल के साथ नाटक करने के लिए छात्र कलाकारों का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि छात्र कलाकारों और पूरी प्रबंधन टीम की ऊर्जा के साथ नाटक और संगीत का मेल बिल्कुल अद्भुत रहा है।

यूनिवर्सिटी ड्रामा क्लब की अनीजा अख्तर, नशरा और गरिमा ने बताया कि कैनेडी हॉल ऑडिटोरियम में 20 अभिनेताओं और 10 संगीतकारों के साथ नाटक का मंचन चार महीने की कड़ी मेहनत का परिणाम था।

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