जबरदस्ती धर्मांतरण की इजाजत ना हिंदुस्तान के संविधान देता है और ना ही इस्लाम देता है: जमीयत उलमा अलीगढ़

जबरदस्ती धर्मांतरण की इजाजत ना हिंदुस्तान के संविधान देता है और ना ही इस्लाम देता है

मौलाना कलीम सिद्दीकी इंसानियत का काम कर रहे थे उनकी गिरफ्तारी नाजायज : मौलाना फाजिल सदर जमीयत उलमा अलीगढ़ उत्तर प्रदेश

अलीगढ़: जमीयत उलमा अलीगढ़ के सदर मौलाना फाजिल साहब के द्वारा धौर्रा में प्रोग्राम आयोजित किया गया था.

अलीगढ़ सदर के मौलाना फाजिल साहब ने मौलाना कलीम सिद्दीकी साहब की गिरफ्तारी को गैर संवैधानिक बताया.

मीटिंग में सैकड़ों की तादाद में लोग शामिल हुए वहां आपसी मशवरा किया गया कि इस तरह की गिरफ्तारी पर आगे क्या करना है.

सदर मौलाना फाजिल साहब ने कहा हिंदुस्तान के संविधान इस बात की इजाजत देती है की हर एक इंसान अपने मजहब को मान सकता है और उसको प्रचार प्रसार कर सकता है हाला के इस्लाम में इस बात की खुद भी इजाजत नहीं कि किसी को जबरदस्ती इस्लाम को कबुल कराया जाए.

इस्लाम मोहब्बत से फैलता है लोगों से अखलाकी तौर पर पेश आना चाहिए यही इस्लाम सिखाता है इस्लाम का मकसद अमन कायम रखना है।

जब सवाल किया गया कि कथित तौर पर आरोप है मौलाना कलीम सिद्दीकी साहब की गिरफ्तारी बाहर से फंडिंग कराने पर की गई है जो धर्मांतरण के लिए है तो इस पर आप क्या कहेंगे?

मौलाना फाजिल साहब ने जवाब दिया कि इस्लाम का मकसद लोगों को भलाई करना है लोगों के साथ उनके दुख परेशानी में खड़े रहना है हम लोगों ने लॉकडाउन के दौरान काफी लोगों की मदद की दवाइयां प्रोवाइड कराए ऑक्सीजन की कमी होने पर जहां अफरा-तफरी थी वही जमीयत के लोग दिन रात लगे थे लोगों को ऑक्सीजन और दवाई दिलाने में, साथ ही गरीब बच्चों के पढ़ाई का इंतजाम भी करती है। और जब इस तरह का सलूक हो मौलाना कलीम सिद्दीकी साहब जैसे लोगों का तो जाहिर सी बात है लोग आपके धर्म के तरफ झुकाव करते हैं पर इसका मतलब यह नहीं हुआ किसी को जबरदस्ती धर्मांतरण कराया जाए इस बात का ना इजाजत हिंदुस्तान का संविधान देता है और ना ही इस्लाम देता है।

जमीअत उलमा अलीगढ़ के सदर मौलाना फाजिल साहब ने कहा मौलाना कलीम सिद्दीकी पर लगे सारे आरोप बेबुनियाद है उनको परेशान किया जा रहा है और देश के अदालतों पर भरोसा है कि वह हर तरीके से बाइज्जत बरी होंगे।

जमीयत उलेमा के बैठक के दौरान मेहमान ए खुसूसी मौलाना असजद साहब ने कहा के इस्लाम मैं हुकुम है कि लोगों से रहम दिली से पेश आया जाए और जुमे की नमाज के दौरान जब लोगों से गुफ्तगू की जाए उससे पहले जरूरी है कि हमारे अंदर खुद भी तब्दीली आए मौलाना असजद साहब ने कहा पदाधिकारियों को शक्ति से निर्देश दिया जो कुछ भी आप करें बड़ों की नजर में रखते हुए करें।

अलीगढ़ जमीयत उलेमा के बैठक के दौरान मेहमाने खुसूसी मौलाना असजद साहब कासमी सदर लखीमपुर, डॉक्टर अतीक उर रहमान साहब जनरल सेक्रेटरी जमीअतुल उलमा अलीगढ़, अब्दुल कयूम साहब कासमी नायब सदर, मौलाना जैनुल आबेदीन साहब खजांची, मुफ्ती शमसुद्दीन आदि मौजूद रहे।

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