परचम पार्टी की वजह से अल्ताफ कासगंज मामला दबाया ना जा सका।

कासगंज में 22 वर्षीय युवक अल्ताफ पुत्र चाँद मियां की पुलिस कस्टडी में की गई हत्या की परचम पार्टी ऑफ इंडिया कड़े शब्दों में निन्दा करती है।

परचम पार्टी इस जघन्य हत्याकांड को प्रदेश सरकार द्वरा प्रायोजित प्रशासनिक आतंकवाद की श्रेणी में रखती है।

प्रदेश के मुखिया की भाषा शैली पुलिस को बेलगाम बनाती है जिसके नतीजे में कासगंज जैसी घटनाएं प्रदेश में हो रही हैं। लगातार पुलिस प्रशासन द्वरा मुसलमानों के खिलाफ अन्याय किया जा रहा है और इस अन्याय के खिलाफ तथाकथित सेक्युलर दल भी खामोश दिखाई पड़ रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

परचम पार्टी माँग करती है कि कासगंज के इस हत्याकांड के गुनाहगारों पर फौरन धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जज की निगरानी में जाँच कराई जाए। इसके अलावा मृतक अल्ताफ के परिवार वालों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।

परचम पार्टी इस मुद्दे को मजबूती के साथ उठाने के साथ साथ अल्ताफ के परिवार की हर सम्भव मदद के लिए प्रतिबद्ध है।

परचम पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष इंजीनियर सलीम पीरजादा थे जिनका कुछ साल पहले दुनिया से रुखसत हो गए उनका कहना था लोकतंत्र में एक एक गरीब एवं मजलूम को इंसाफ मिलना चाहिए तब जाकर लोकतंत्र का हक अदा होगा।

परचम पार्टी के तरफ से सैयद नाजिम अली कासगंज गए और अल्ताफ के परिवार वालों से मिले साथ में आरएलडी के नेता राजा भी थे जो वहां कानूनी मदद देने का भरोसा दिलाया।

अल्ताफ की मौत कासगंज के एक थाने में संदिग्ध परिस्थिति में हो गई पुलिस कप्तान के मुताबिक एक लड़की के अपहरण के मामले में पूछताछ के लिए उठाया गया था।

कथित तौर पर पुलिस पर आरोप है कि पुलिस ने अल्ताफ की हत्या की है पर हकीकत क्या है जांच होना बाकी है क्योंकि एक बड़ा सवाल है कि 2 फीट की नलका से लटक कर कोई जान कैसे दे देगा?

परिवार वालों का आरोप है कि प्रशासन ने जबरदस्ती एक सादे पेज पर साइन करा लिया और पांच लाख मुआवजा देने की बात कही।

परचम पार्टी और आरएलडी के नेता जब कासगंज से आए तो अलीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और मीडिया के माध्यम से बताया कि अल्ताफ के पिता चांद मियां पर वहां के लोकल पुलिस दबाव बना रही है।

मरहूम अल्ताफ के चाचा अबरार का कहना है कि अगर पुलिस को लगता है कि उसने खुदकुशी की है तो फिर 500000 का मुआवजा क्यों दे रही है?

और अगर प्रशासन को वहां की पुलिस को हमसे बात करनी थी तो हम पांचों भैया जो अल्ताफ के पिता और चाचा हैं जब इकट्ठे होते तब बात होती पर चोरी चुपके पर सादे कागज पर साइन ले लिया गया और हर तरीके से दबाव बनाया जा रहा है।

चाचा का कहना है कि हम इंसाफ के लिए अलीगढ़ आए हैं क्योंकि वहां पुलिस का पहरा है वह चाहते हैं कि केस दबा दी जाए और इंसाफ दिलाना मीडिया कर्मी और अमन पसंद लोगों का काम है।

आपको बता दें इस घटना के बाद लापरवाही के चलते वहां के कोतवाली एसएचओ वीरेंद्र सिंह के साथ-साथ पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है जिनका पूरी तरीके से अभी कोई नाम नहीं आया है बाकी के पुलिस कौन हैं।

हालांकि पुलिस अधीक्षक का कहना है अल्ताफ को मंगलवार की सुबह लाया गया था और पिता चांद मियां का कहना है कि सोमवार की देर शाम उसको ले गए थे जब वह खाने के लिए बैठा ही था।

वही पुलिस अधीक्षक का कहना है 15:20 मिनट के पूछताछ के बाद ही वह शौच के लिए गया और वहां आत्महत्या कर ली पुलिस पर लगा मारपीट का आरोप बिल्कुल गलत है।

हालांकि पीड़ित परिवार के तरफ से दोबारा तहरीर दे दी गई है देखना यह है कि आगे जांच में क्या सामने आता है फिलहाल एसएचओ समेत पांच पुलिसकर्मी सस्पेंड है।

आखिर यूपी पुलिस इस तरह के सवालों में कब तक धरती रहेगी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मौजूदा सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि अब यूपी पुलिस योगी जी से प्रेरित है ठोको नीति पर काम कर रही है ना कोई कानून है ना कोई संविधान अपनी मर्जी चलाए जा रहे हैं।

वही परचम पार्टी के सबसे पहले नेतृत्व करने के बाद योगी सरकार के लिए आने वाले चुनाव को देखते हुए मुश्किल खड़ा हो गया है, और अल्ताफ का मामला एकदम से सोशल मीडिया और मीडिया में छाने लगा है।

हालांकि भाजपा के सरकार में आने के बाद योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद चाहे वह लाख वादा करले पर देखा जाए कासगंज हाथरस और लखीमपुर मुद्दा किसी ना किसी बहाने बना रहता है।

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