अलीगढ़, 10 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा पावर, इंस्ट्रुमेंटेशन, ऊर्जा और नियंत्रण पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पाईकान-2023 के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के छात्रों को सही प्रकार के प्रशिक्षण और मानसिकता के साथ तैयार करने की आवश्यकता है। हमारा उद्योगों के साथ सीधा संबंध होना चाहिए, और हमारे छात्रों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तुलना में एमएसएमई की खोज पर ध्यान देना चाहिए।
प्रो गुलरेज ने कहा कि सम्मेलन शोधकर्ताओं को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे शोधकर्ताओं के एक व्यापक समुदाय के लिए अपने शोध कार्य को प्रस्तुत करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करेगा। यह प्रतिभागियों को अपने ज्ञान, हाल के नवाचारों को साझा करने और विषय से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने में मदद करेगा।
मानद अतिथि श्री रिजवानुर रहमान (कार्यकारी निदेशक, पीएफसी, विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार) ने भारत में बिजली क्षेत्र में निरंतर परिवर्तन का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि 90 के दशक में हमने विशाल राज्य बिजली बोर्डों को अत्याधुनिक तकनीकों के साथ व्यवहार्य संस्थाओं में बदलने पर ध्यान केंद्रित किया। बाद में हमने आईटी में हस्तक्षेप और अन्य तकनीकों को सक्षम बनाने में डिस्कॉम के साथ काम किया।
उन्होंने कहा कि संशोधित वितरण क्षेत्र योजना के तहत 2021-22 से 2025-26 तक पाँच वर्षों की अवधि के लिए 303758 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना है।
भारत के ऊर्जा परिवर्तन के बारे में बात करते हुए श्री रहमान ने कहा कि 2021 में सीओपी-26 शिखर सम्मेलन में, भारत ने 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने का संकल्प लिया, जिसमें देश में परिवहन, औद्योगिक और बिजली संयंत्र उत्सर्जन को कम करना शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत निकट भविष्य में गैर-जीवाश्म ईंधन पर स्विच करने की योजना बना रहा है, और 2030 तक 500 जीडब्लू की स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन बिजली क्षमता हासिल करने की उम्मीद करता है। इसके अलावा, राष्ट्रीय सौर मिशन के हिस्से के रूप में, सरकार ने 2030 तक भारत में 300 जीडब्लू सौर ऊर्जा प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डीन, प्रोफेसर अल्तमश सिद्दीकी ने कहा कि कांफ्रेंस में जिन विषयों पर विचार किया जायेगा उनमें पावर और एनर्जी सिस्टम, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और ड्राइव, हाई वोल्टेज और इंसुलेशन इंजीनियरिंग, रोबोटिक्स, कंट्रोल, इंस्ट्रूमेंटेशन और ऑटोमेशन, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग से संबंधित नए क्षेत्र और स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकियां, सिग्नल और इमेज प्रोसेसिंग, स्मार्ट ग्रिड और स्मार्ट सिटी, नवीकरणीय और टिकाऊ ऊर्जा, वायु, अंतरिक्ष, समुद्र, सड़क और पानी के नीचे के उपकरणों में विद्युतीकृत परिवहन, सर्किट तथा नैनो-पदार्थ शामिल हैं। इनसे निश्चित रूप से प्रतिभागियों और छात्रों का लाभ होगा।
प्रोफेसर एमएम सुफयान बेग, प्रिंसिपल, जेएचसीईटी ने कहा कि विद्युत ऊर्जा आधुनिक समाज की संरचना की रीढ़ है। हालाँकि, वर्तमान में भारतीय ऊर्जा क्षेत्र असंख्य चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनका बुद्धिजीवियों द्वारा समाधान किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ज्ञान की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सलमान हमीद ने कहा कि विभाग ने अतीत में कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कार्यशालाओं, सेमिनारों और सम्मेलनों का सफलतापूर्वक आयोजन किया है। पावर, इंस्ट्रुमेंटेशन, एनर्जी और कंट्रोल पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (पीआईईसीओएन-2023) का उद्देश्य पूरे देश के लोगों को उभरते तकनीकी क्षेत्रों में नए शोधों और विकासों को साझा करने और चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
सम्मेलन संयोजक प्रो मोहम्मद रिहान ने कहा कि स्मार्ट ग्रिड, उन्नत संवेदन और संचार, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का एकीकरण और पावर ग्रिड के डीकार्बोनाइजेशन जैसे हाल के विकास सम्मेलन के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा तकनीकी कार्यक्रम समृद्ध और विविध है जिसमें मुख्य वक्ता, आमंत्रित वार्ता, और तकनीकी पेपर प्रत्येक दिन 15 व्यापक ट्रैक और 7 समांतर सत्रों के बीच विभाजित होते हैं।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन के लिए लगभग 400 शोधपत्र प्राप्त हुए थे जिनमें से केवल 165 ही अंतिम रूप से प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इन पत्रों के लेखक अमेरिका, ताइवान, तुर्की, सऊदी अरब, मलेशिया, बांग्लादेश, कतर आदि से हैं।
प्रोफेसर रिहान ने कहा कि एएमयू ने परिसर में 6.5 मेगावाट सौर ऊर्जा की सफलतापूर्वक स्थापना करके हरित ऊर्जा पर राष्ट्रीय मिशन में प्रमुख योगदान दिया है।
प्रोफेसर विश्वरूप दास (आईआईटी, रुड़की) ने ‘नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरणः कुछ परिप्रेक्ष्य’ पर बात की।
प्रो. मोहम्मद फजले अजीम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का संचालन सुश्री माहिना महमूद और जावेरिया साजिद ने किया। यह कांफ्रेंस 12 फरवरी तक आनलाइन व आफ लाइन मोड में चलेगी।