महफ़िल-ए-सुखन: सर सैयद फाउंडेशन द्वारा उर्दू कविता और साहित्य की एक शाम का आयोजन किया गया।
Amu News अलीगढ़, 6 सितंबर, 2023 सर सैयद फाउंडेशन ने सभी शिक्षकों को समर्पित एक विशेष शाम “महफिल-ए-सुखन” का आयोजन करके शिक्षक दिवस को भव्य तरीके से मनाया।
इस कार्यक्रम में महामहिम सहित विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे। भारत में रिपब्लिक ऑफ लिबरलैंड के मानद कौंसल नवाब सैयद अलगाजी, एएमयू में अंग्रेजी विभाग से प्रोफेसर मोहम्मद रिजवान खान और फार्माकोलॉजी विभाग से डॉ. जमील अहमद शामिल थे।
मोईन शादाब, अभिषेक तिवारी, इंद्र नारायण, निधि कौशिक, स्वेचा, गायत्री, उमर उदास, गयास फिरोजाबादी और कई अन्य लोगों ने अपनी साहित्यिक रचनाएँ साझा कीं। कार्यक्रम की मेजबानी मुफलिस और शार्का मलिक ने की, जिससे मनमोहक माहौल बन गया।
विशेष अतिथि प्रो. मोहम्मद रिज़वान खान ने साहित्य और कविता में अपनी गहरी अंतर्दृष्टि से शाम को समृद्ध बनाया, और इस अवसर पर गहन बातचीत की परत जोड़ी। उन्होंने शिक्षक दिवस पर साहित्य और शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए ऐसे अद्भुत और सार्थक कार्यक्रम के आयोजन के लिए सर सैयद फाउंडेशन के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। महामहिम नवाब सैयद अलगाज़ी ने विविध पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को एक मंच पर लाने में उनकी सराहनीय पहल और प्रयासों के लिए सर सैयद फाउंडेशन के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस तरह के समारोहों के सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए साझा किया कि उनके परिवार का कविता और साहित्य से गहरा संबंध है।
इसके अलावा, उन्होंने अपनी कलात्मकता और रचनात्मकता से इस अवसर की शोभा बढ़ाने वाले सभी कवियों की हार्दिक सराहना की और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं। महामहिम के शब्दों ने साहित्य और कविता के संरक्षण और प्रचार के महत्व पर जोर देते हुए इस आयोजन में प्रतिष्ठा का स्पर्श जोड़ा।
सर सैयद फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. सैयद कलीम अफरोज जैदी ने गर्मजोशी से स्वागत भाषण दिया, जबकि Sir Syed Foundation अध्यक्ष नावेद आलम ने हार्दिक धन्यवाद के साथ कार्यक्रम का समापन किया। महासचिव फैज़ुर रहमान शेरवानी ने शाम की गतिविधियों के समर्थन और समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और शिक्षकों के प्रति अपनी सराहना व्यक्त की तथा उर्दू कविता और साहित्य के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित किया। “महफिल-ए-सुखन” एक शानदार सफलता थी, जिसने इस विशेष अवसर पर साहित्य की खुशी और शिक्षकों को सम्मानित करने की भावना को एक साथ ला दिया।