अलीगढ़, 29 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने शिक्षकों एवं शैक्षिणक विभागों द्वारा अध्यापन के विभिन्न क्षेत्रों में मूल योगदान को दर्शाते हुए चौदह महत्वपूर्ण प्रकाशन का विमोचन किया।
इन प्रकाशनों में डा तारिक आफताब, वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा संपादित जैस्मोनेट्स और सैलिसिलेट्स सिग्नलिंग इन प्लांट्स (स्प्रिंगर इंटरनेशनल पब्लिशिंग) तथा प्लांट्स ग्रोथ रेगुलेटर्स (स्प्रिंगर) और प्लांट माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (स्प्रिंगर); डा नसीम अहमद, वनस्पति विज्ञान विभाग और प्रो मिरोस्लाव स्ट्रनाड द्वारा संपादित मेटा-टोपोलिनः ए ग्रोथ रेगुलेटर फार प्लांट बायोटेक्नोलाजी एंड एग्रीकल्चर (स्प्रिंगर), डा अंदलीब राथर, डा समीरा खानम तथा मोहम्मद उजै़र (सोशल वर्क विभाग) द्वारा संपादित एरियाज़ आफ सोशल वर्क प्रैकटिस (अल्टरनोट्स प्रेस, नई दिल्ली); डा अब्दुल शकील, दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा संपादित इथिक्स, एपिस्टेमालोजी एण्ड फिलोसोफी डेवेलप्मेंट (एआर एंटरप्राइजेज, नई दिल्ली); कुलियात विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर अशहर कदीर द्वारा संपादित तिब्बे यूनानी और हिंदुस्तान; प्रो फरीदा अहमद, डा जमील अहमद, डा बुशरा हसन खान तथा डा शुजाउद्दीन द्वारा संपादित सीबीएमई बेस्ड प्रैक्टिकल फार्माकोलाजी (राइटर्सग्राम पब्लिकेशन, नई दिल्ली); इस्लामिक स्ट्डीज़ विभाग के शिक्षकों प्रोफेसर ओबैदुल्ला फहद और डा जियाउद्दीन द्वारा संपादित कुरान की खिदमत (सम्मेलन कार्यवाही); प्रो ओबैदुल्लाह फहद द्वारा लिखित इस्लाम में हिंसा और लोकतंत्र; अंग्रेजी, उर्दू तथा हिंदी में प्रकाशित कला संकाय का शताब्दी अंक; इस्ंटीट्यूट आफ पर्शियन स्टडीज़ द्वारा बज़्तब अदबियात-ए-फ़ारसी दर-ए-सद्दा-ए-हफ़दहमीन मिलादी (खंड एक), सत्रहवीं शताब्दी में फ़ारसी साहित्य की समीक्षा (खंड दो), सत्रहवीं शताब्दी ईस्वी में फ़ारसी साहित्य की समीक्षा (खंड तीन) और सैयद मोइनुल हक झोंसोई द्वारा लिखित और प्रो एसएम असद अली खुर्शीद, निदेशक, फारसी संस्थान द्वारा संपादित मंबा-उल-अंसाब शामिल हैं।
पुस्तकों का विमोचन करते हुए कुलपति प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि यह अकादमिक पुस्तकें अनुसंधान का नतीजा हैं और ज्ञान के आधार का एक हिस्सा हैं जो पाठकों को चुनौतीपूर्ण विषयों पर निष्कर्ष निकालने में मदद करेंगी।