अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने सर सैयद अकादमी द्वारा प्रकाशित पांच पुस्तकों के विमोचन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि सर सैयद अहमद खान एक बहुआयामी व्यक्तित्व के मालिक थे और उनका मूल्यांकन उनके समय और स्थान के आलोक में किया जाना चाहिए।
कुलपति ने इस अवसर पर डाक्टर राहत अबरार द्वारा संपादित पुस्तक ‘सर सैयद अहमद खान और 1857’, प्रोफेसर शान मोहम्मद के लेखों के संग्रह तथा डॉ शाहनूर शान द्वारा संपादित ‘आवाज़-ए-सर सैयद’, प्रोफेसर इफ्तिखार आलम खान द्वारा ‘रूफका-ए-सर सैयद’, डॉ मोहम्मद नासिर द्वारा ‘नवाब वकारुल मुल्क’ और डॉ मोहम्मद फुरकान द्वारा ‘नवाब सर हाफिज अहमद सईद खान’ पांच पुस्तकों का विमोचन किया।
सर सैयद के करीबी साथियों के समर्पण और अमूल्य योगदान पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि अलीगढ़ आंदोलन का इतिहास नवाब वकारुल मुल्क और नवाब हाफिज अहमद सईद खान जैसे महान व्यक्तियों का उल्लेख किए बिना पूरा नहीं हो सकता।
उन्होंने सर सैयद अकादमी द्वारा प्रकाशित मोनोग्राफ का अन्य भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, बंगाली, मलयालम आदि में अनुवाद करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि अलीगढ़ आंदोलन का संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।
प्रोफेसर मंसूर ने सर सैयद अकादमी द्वारा किए जा रहे डिजिटलीकरण कार्य, पांडुलिपियों और अन्य दुर्लभ दस्तावेजों के संरक्षण पर संतोष व्यक्त किया।
सर सैयद अकादमी के निदेशक प्रोफेसर अली मोहम्मद नकवी ने अपना स्वागत भाषण देते हुए कहा कि सर सैयद आधुनिक इस्लामी दर्शन के संस्थापक हैं जिनका बौद्विक विकास उनके जीवन के चार अलग-अलग चरणों में हुआ।
उन्होंने सर सैयद अकादमी द्वारा किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला और अकादमी को समर्थन और पुनर्जीवित करने के लिए कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर का आभार जताया।
इससे पूर्व जनसंचार विभाग के प्रोफेसर शाफे किदवई, धर्मशास्त्र संकाय के डीन प्रोफेसर सऊद आलम कासमी, सर सैयद अकादमी / प्रकाशन विभाग के उप निदेशक, डॉ मोहम्मद शाहिद और उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सगीर अफराहीम ने उक्त पुस्तकों पर चर्चा की।
प्रोफेसर शाफे किदवई ने कहा कि ‘सर सैयद अहमद खान और 1857’ डाक्टर राहत अबरार द्वारा संपादित सर सैयद अहमद खान की तीन महत्वपूर्ण पुस्तकों का एक महत्वपूर्ण संकलन है।
प्रोफेसर किदवई ने कहा कि सर सैयद 19वीं शताब्दी के पहले सार्वजनिक बुद्धिजीवी थे और इस पुस्तक ने सर सैयद को समझने के लिये एक नया डिस्कोर्स शुरू किया है।
प्रोफेसर सऊद आलम कासमी ने कहा कि ‘रूफका-ए-सर सैयद’ प्रोफेसर इफ्तिखार आलम खान द्वारा अलीगढ़ आंदोलन के तीन महान समर्थकों और सर सैयद अहमद खान के करीबी साथी, मौलवी समीउल्लाह खान, नवाब मोहसिनुल मुल्क और नवाब वकारुल मुल्क के योगदान पर एक विस्तृत अध्ययन है।
प्रो सगीर अफराहीम ने कहा कि ‘आवाज़-ए-सर सैयद’ प्रो शान मोहम्मद के लेखों का संग्रह है जो सर सैयद अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
नवाब वकारुल मुल्क और नवाब सर हाफिज सईद अहमद खान के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ मोहम्मद शाहिद ने कहा कि सर सैयद अकादमी अलीगढ़ आंदोलन से जुड़े व्यक्तियों पर गुणवत्तापूर्ण किताबें और मोनोग्राफ का प्रकाशन जारी रखेगी।
नवाब सर हाफिज अहमद सईद खान पर मोनोग्राफ के लेखक स्वर्गीय डाक्टर मोहम्मद फुरकान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री जावेद सईद (एएमयू कोर्ट सदस्य) ने उनके परिवार को 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की।
डॉ मोहम्मद शाहिद ने धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि कार्यक्रम का संचालन डॉ सैयद हुसैन हैदर ने किया।
इस अवसर पर वित्त अधिकारी प्रोफेसर मो. मोहसिन खान, विभिन्न संकायों के डीन, विभागों के अध्यक्ष, शिक्षक और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।