शौर्य दिवस, बलिदान दिवस मनाया जा रहा है वो भी किसके लिए अंग्रेजों का साथ देने वालो के लिए, “सारागढ़ी की जंग” में अंग्रेजों के लिए लड़ने वालों को अब शहीद का दर्ज़ा दिया जा रहा है, और अविभाजित भारत की आज़ादी के लिए अंग्रजों के ख़िलाफ़ लड़ने वाले कबाइली पठान कायर और देश द्रोही हो गए।
जिन लोगों को लगता है ब्रिटश सेना के लिए लड़ने वाले शहीद हैं तो फिर 1818 भीम कोरेगांव की जंग में अंग्रेज़ो की तरफ से लड़ते हए महार रेजिमेंट के 500 दलितों ने मराठा पेशवा की 20 हजार की सेना को हरा दिया था तो फिर इसे क्या कहा जायेगा? सारागढ़ी पर फिल्म बनाने वाले अक्षय कुमार क्या दलितों की वीरता पर भी फिल्म बनाएंगे?
बहादुरी अपनी जगह है, शहादत अपनी जगह, लेकिन इन नफ़रती लोगों को इससे मतलब नही उन्हें सिर्फ़ इससे मतलब है कि हारने वाला किस मज़हब और जाति का था।
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