छठ पूजा की शुरुआत मुख्य रूप से बिहार और झारखण्ड से हुई जो अब देश-विदेश तक फैल चुकी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ का व्रत संतान की प्राप्ति, कुशलता और उसकी दीर्घायु की कामना के लिए किया जाता है।
Chhath Puja 2021: छठ पूजा का त्योहार चार दिन तक चलता है, इसमें महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। छठ के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। छठ का पर्व बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश की कई जगहों पर घूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत के लोगों के लिए ये त्योहार बेहद खास महत्व रखता है। छठ का पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है।
छठ पूजा की शुरुआत:
- छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि से हो जाती है। यह पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है। छठ के दौरान छठी मईया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं।
- पौराणिक मान्यता ये भी है कि श्रीकृष्ण ने उत्तरा को ये व्रत रखने और पूजन करने का सुझाव दिया था। महाभारत युद्ध के बाद जब गर्भ में ही अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र का वध कर दिया गया था। तब उस जान को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने उत्तरा का षष्ठी व्रत करने के लिए कहा। इसलिए इस व्रत को संतान की लंबी आयु की कामना के लिए भी माना जाता है।
- अंग देश के महाराज कर्ण सूर्य देव के उपासक थे, इसलिए परंपरा के रूप में सूर्य पूजा का विशेष प्रभाव इस इलाके पर दिखता है।
नहाय- खाय
8 नवंबर 2021 को नहाय- खाय किया जाएगा। नहाय खाय के दिन पूरे घर की साफ- सफाई की जाती है और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है।
खरना
खरना 9 नवंबर 2021 से किया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रत का पारणा छठ के समापन के बाद ही किया जाता है।
तीसरे दिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है
खरना के अगले दिन शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इस साल 10 नवंबर 2021 को शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
आखिरी दिन छठ पर्व का समापन
खरना के अगले दिन छठ का समापन किया जाता है। इस साल 11 नवंबर को इस महापर्व का समापन किया जाएगा। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारणा किया जाता है।
सूर्योदय समय – सुबह 6:40
सूर्यास्त समय – शाम 5:30
By: Tanwi Mishra