भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने बड़ी संख्या में रिक्त पड़े न्यायाधीशों के पदों को ‘बड़ी चुनौती’ करार देते हुए शनिवार को उम्मीद जताई की सरकार उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों के लिए कोलेजियम द्वारा अनुशंसा किए गए नामों को तेजी से मंजूरी सुनिश्चित करेगी जैसा कि उसने शीर्ष अदालत में नियुक्तियों के लिए किया।
CJI Raman कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना निगम गठित करने के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयारकिया जा रहा है और जल्द ही सरकार को यह भेजा जाएगा। सीजेआई ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की ओर से उन्हें सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ न्याय प्रणाली आधारभूत अवसंरचना, प्रशासनिक र्किमयों की कमी और बड़ी संख्या में न्यायाधीशों की रिक्तियों जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है।’’
उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों के लिए सीजेआई ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय कानून मंत्री को कोलेजियम के अनुशंसा पर शीर्ष अदालत में नौ न्यायाधीशों की नियुक्ति को ‘ जेट स्पीड’ की गति से मंजूरी देने के लिए धन्यवाद दिया, जो इस कार्यक्रम में मौजूद थे। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं प्रधानमंत्री, कानून मंत्री और भारत सरकार को नामों को मंजूरी देने के लिए धन्यवाद देता हूं।’’
जस्टिस रमण ने कहा कि उनकी कोशिश ‘तत्काल आधार’ पर उच्च न्यायपालिका में रिक्तियों से निपटने की है और रेखांकित किया कि सामूहिक प्रयास की वजह से अब शीर्ष अदालत में न्यायाधीश पद की रिक्ति घटकर एक रह गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसी प्रकार मेरे कार्यभार ग्रहण करने के बाद कोलेजियम ने अगर गलत नहीं हूं तो उच्च न्यायालयों के लिए 82 नामों की अनुशंसा की।’’
CJI Raman ने कहा, ‘‘ मैं उम्मीद करता हूं कि सरकार नामों को शीघ्र मंजूर करेगी जिस तरह से शीर्ष अदालत से नौ नामों को मंजूरी दी गई। यह चलते रहने वाली प्रक्रिया है। हम सभी उच्च न्यायालयों में इस समय खाली करीब 41 प्रतिशत रिक्तियों को भरने की चुनौती पर खरा उतरने की उम्मीद करते हैं।’’
CJI Raman उम्मीद जताई कि अगले महीने तक 90 प्रतिशत रिक्त पदों पर भर्ती हो जाएगी। सीजेआई ने कहा कि वह कोलेजियम में अपने सहयोगियों- जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव- का इस प्रयास में सक्रिय और सृजनात्मक साझेदार बनने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करना चाहते हैं। सीजेआई ने न्यायिक प्रणाली में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर भी चिंता जताई।
इस कार्यक्रम में जो अन्य हस्तियां शामिल हुई, उनमें शीर्ष अदालत के कई मौजूदा न्यायाधीश, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, देशभर के विभिन्न वकीलों के निकायों के पदाधिकारी और सदस्य शामिल थे।
न्यायिक अवसंरचना के मुद्दे पर जस्टिस रमण ने कहा कि उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों से सूचना प्राप्त कर रिपोर्ट तैयार की है और जल्द वह इसे कानून मंत्रालय को भेजेंगे। उन्होंने वादियों और वकीलों, खासतौर पर महिला अधिवक्ताओं की समस्याओं को रेखांकित करते हुए कहा कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर न्यायिक अवसंरचना निगम का गठन होता है तो इन मुद्दों पर गौर किया जाएगा।
By- Poonam Sharma