ईरान के कल्चरल काउंसलर का एएमयू Aligarh Muslim University में अभिनन्दन

Aligarh Muslim University News अलीगढ़, 13 सितंबरः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ पर्शियन रिसर्च द्वारा सर सैयद अकादमी में ईरान के कल्चरल काउंसलर डॉ. फरीदुद्दीन फरीद अस्र का स्वागत समारोह और उनके द्वारा भारत-ईरान संबंध’ पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।

फारसी अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रो. मोहम्मद उस्मान गनी ने मुख्य अतिथि डॉ. फरीदुद्दीन फरीद अस्रविशिष्ट अतिथि डॉ. कहरमन सुलेमानी और अन्य अतिथियों का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि फारसी सिर्फ एक भाषा का नाम नहीं है बल्कि यह एक संपूर्ण सभ्यता और जीवन संहिता है। उन्होंने भारत और ईरान के बीच आपसी संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह अच्छी वाणीअच्छे व्यवहार और अच्छे चरित्र पर आधारित है।

केंद्र की संस्थापक और मानद सलाहकार प्रो. आजरमी दुख्त सफवी ने अतिथियों का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि भारत और ईरान के बीच सदियों से आपसी संबंध रहे हैं। दोनों देशों की संस्कृति भी समान है।

प्रोफेसर सफवी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान फारसी पाठ के संपादककई भाषाओं के विशेषज्ञएक विचारक और अमीर कबीर के समकालीन थेजिन्होंने ईरान में दार अल-फुनुन की स्थापना की थी।

अपने विशेष व्याख्यान में डॉ. फरीदुद्दीन फरीद अस्र ने कहा कि भारत और ईरान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों देश एक साझा संस्कृति साझा करते हैं। जिस सभ्यता की स्थापना ईरान में तिमुरिड्स ने की थीवही गोर्कानियों (मुगलों) द्वारा भारत में लाई गई थी।

उन्होंने कहा कि ईरान में प्रकाशित पहली किताबें भी भारत से संबंधित थीं। ईरान में दार अल-फुनुन और अन्य शैक्षणिक केंद्रों की स्थापना भी भारत के माध्यम से हुई।

दर्शकों को संबोधित करते हुए डॉ कहरमन सुलेमानी ने कहा कि ईरानी शोधकर्ता और आलोचक भारत के ज्ञान और साहित्य को पहचानते हैं। उन्होंने शिब्ली नोमानी और प्रोफेसर नजीर अहमद की शैक्षणिकसाहित्यिक और शोध गतिविधियों की भी सराहना की।

उन्होंने अल्लामा शिबली नोमानी की शोध गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि यद्यपि फारसी आलोचना में ई.जी. ब्राउन को उच्च स्थान प्राप्त हैफिर भी यदि शिब्ली और ब्राउन की तुलना की जाये तो शिबली ब्राउन से एक हजार पायदान ऊपर हैं। एएमयू के छात्रों को ऐसी प्रतिभाओं के नक्शेकदम पर चलना चाहिए।

इस अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया।

इससे पहलेफारसी विभाग की छात्रा फातिमा जहरा ने फारसी विभाग के पूर्व शिक्षकस्वर्गीय प्रोफेसर डॉ. वारिस किरमानी द्वारा ईरान का महिमामंडन करने वाली एक कविता का पाठ किया।

प्रोफेसर मोहम्मद उस्मान गनी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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