साइंटिफिक रिसर्च एकेडमी के मेनेजर यूसुफ अजहर ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आज मुल्क एक सच्चे रहबर से महरूम हो गया है
मदरसा बहरूल उलूम किशन पुर के मुहतमिम हज़रत मौलाना अली हसन का आज दोपहर इंतेकाल हो गया। हज़रत मौलाना ने भारत की तीन बड़ी संस्थाओं मदरसा क़ासिमुल उलूम तेवड़ा, मदरसा खादिमुल उलूम बागोंवाली और मदरसा बहरूल उलूम किशन पुर में खिदमत आदा की ।
हज़रत मौलाना देश के सभी वर्गों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव के साथ ही दलित-मुस्लिम एकता के हक़ में थे। उन्होंने मुसलमानों के सभी वर्गों को एक साथ लाने और मुल्क दुश्मन ताक़तों को एकता का संदेश देने की कोशिश की।
आपके नेतृत्व में मदरसा बहरूल उलूम किशन पुर जो पटरी से उतर चुका था पहले से ज्यादा तेजी से चल पड़ा।
मदरसा के मुहतमिम चुने जाने के बाद उन्होंने हमेशा अपनी बुद्धिमत्ता और ज्ञान के साथ उनका मार्गदर्शन किया। साइंटिफिक रिसर्च एकेडमी उनके निधन को विशेष रूप से अपनी व्यक्तिगत क्षति समझती है । आपको ज्ञान, बड़प्पन, पवित्रता और संपन्नता के साथ-साथ उदारता की शक्ति और अनुशासन की उच्चतम क्षमता प्राप्त हुई। विद्यार्थियों के प्रति सहानुभूति, हमदर्दी और उनसे लगाव, आपकी विशेषता थी जबकि उसूलों की पाबंदी एक नैसर्गिग विशेषता थी।
इसके अलावा, वह मदरसा खादिमुल उलूम बागोंवाली में हदीस के एक उच्च सम्मानित शिक्षक थे। शैक्षिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ विभिन्न प्रशासनिक कर्तव्यों का बखूबी पालन करते रहे। आपका पढ़ाने का अंदाज बिना किसी अनावश्यक बातों के बहुत ही सावधानीपूर्वक, गंभीर और विद्वतापूर्ण था। भाषा साफ-सुथरी थी और अनुवाद बहुत सहज व सरल था। ये सभी सेवाएं आपके विश्वास, अथक संघर्ष और अपार जोश का परिणाम हैं।
उनके निधन से साइंटिफिक रिसर्च एकेडमी और सामान्य रूप से भारतीय मुसलमानों के लिए अपूरणीय क्षति हुई है। ऐसे महान और समर्पित मार्गदर्शक की मृत्यु पर आज पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। (इन्ना लिल्लाहे वाइन्ना इलेहे राजेऊन)