उत्तराखंड में अल्पसंख्यक की आवाज बनने वाली मुस्लिम सेवा संगठन

भारत और मुसलमान दोनों का एक दूसरे से वजूद है लेकिन राजनीतिक करण होने की वजह से मुसलमानों का राजनीतिक सामाजिक प्रशासनिक हिस्सेदारी बिल्कुल ना के बराबर है बहुत सी तथाकथित पॉलीटिकल पार्टी मुसलमानों की बात करती हैं पर सिर्फ वोट लेने तक आप उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की बात करें 2022 में जितने मुसलमान समाजवादी पार्टी से जीते लेकिन क्या वह मुसलमानों के अधिकार को लेकर उनके विधायकों को अपनी बात रखने देगी या फिर इसी में रह जाएगी कि अखिलेश यादव जी यानी उर्फ भैया जी को मुख्यमंत्री बनाना है और फिर मुस्लिम विधायक भूल जाएंगे कि उनका इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक के तौर पर होता है उनके हिस्सेदारी के लिए ना तो वह कुछ करना चाहते हैं ना तो राजनीतिक सिस्टम उन्हें कुछ करने देता है।

सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की बात करने वाली पार्टी भाजपा जहां उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की संख्या 24 परसेंट होने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं दिया हालांकि अपना दल के सहयोगी पार्टी के एक उम्मीदवार रामपुर से थे और सरकार बनते ही अल्पसंख्यक के नाम पर इकलौते दानिश आजाद अंसारी को मंत्री तौर पर अपने कैबिनेट में शामिल किया।

और बात उत्तराखंड की करें, तीन विधायक जीत पाए जो दो बसपा और एक कांग्रेस से हैं। आप सोचिए उस राज्य में राजनीतिक सामाजिक प्रशासनिक में क्या हिस्सेदारी हो पाएगी और क्या उनकी भूमिका।

उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदायों के सबसे बड़े समुदाय मुस्लिम का इकलौता मुस्लिम सेवा संगठन जो लगातार उत्तराखंड की राजनीति में सामाजिक कार्य कर रहा है और लोगों को आवाज उठाने का काम कर रहा है और साथ ही मुसलमानों की हक की लड़ाई लड़ रहा है इस बात का दावा करने वाले मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नसीम कुरैशी जी का हिंद राष्ट्र से खास बातचीत।

मुस्लिम सेवा संगठन क्या है इसमें कितने लोग हैं, मकसद क्या है।

मुस्लिम सेवा संगठन एक सामाजिक संगठन है जो विशेषकर दलित, अल्पसंख्यक, महिला, एवं निर्बल वर्ग के उत्थान के लिए संघर्षरत है।

चूंकि मुस्लिम सेवा संगठन एक सामाजिक संगठन है इस लिये प्रत्येक वह व्यक्ति जो इस देश के लिए जीता है एवं देश से प्रेम करता है वह मुस्लिम सेवा संगठन का कार्यकर्ता है। परंतु यदि सांगठनिक ढांचे की बात की जाय तो संगठन की प्रमुख कोर सीमित है जो फैसले लेती है जिसके अध्यक्ष श्री नईम क़ुरैशी है।

नाम में मुस्लिम सेवा संगठन है क्या सिर्फ मुसलमानों के लिए है या फिर समाज के लिए।

मुस्लिम सेवा संगठन केवल मुस्लिम समाज के लिए नही मैने उल्लेखित किया मुस्लिम सेवा संगठन धर्मनिरपेक्ष तौर पर दलितों, अल्पसंख्यक समुदाय, महिला, एवं निर्बल वर्ग के लोगों के लिए समर्पित है।

आपका संगठन सर देहरादून में कार्य कर रहा है या और भी अन्य शहरों में?

मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नसीम कुरैशी ने कहा कि अभी हम लोग देहरादून और हरिद्वार जैसी जगह पर काम कर रहे हैं और धीरे-धीरे संगठनों का पूरे उत्तराखंड में विस्तार करेंगे।

15 सीटों पर चुनाव लड़ने की आपने मीडिया से बात करते वक्त कहा था, आप तो सामाजिक संगठन है?

देखिए सामाजिक कार्य राजनीति से अलग नहीं है। राजनीति सामाजिक कार्य एवं समाज के उत्थान का प्रमुख ज़रिया है।

बाबा भीम राव अम्बेडकर को आप क्या कहेंगे वो एक सटीक उदाहरण है राजनीति का वैसे आप लाल बहादुर शाश्त्री, कर्पूरी ठाकुर, जगजीव राम और अनेकों उदाहरण है जिन्होंने राजनीति को सामाजिक कार्यो का माध्यम बनाया हम भी उन्हीं के पदचिन्हों का अनुसरण कर रहे है।

यूपी की राजनीति में अल्पसंख्यक मुसलमानों का काफी योगदान रहता है पर उत्तराखंड के राजनीति में दूरी क्यों? क्या वजह हो सकती है?

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कितने मुस्लिम प्रत्याशी जीते,अगर जीते तो कितने, किस पार्टी से?

उत्तर प्रदेश की तुलना उत्तराखंड से करना बेमानी होगा क्योंकि उत्तर प्रदेश बड़ा राज्य है। उत्तराखंड में भी इस बार 3 विधायक मुस्लिम है।

मुस्लिम सेवा संगठन का मानना है कि तुलनात्मक इसमें वृद्धि होनी चाहिए क्योंकि जनसंख्या के हिसाब से हम 14 प्रतिशत है लगभग तो विधायक भी 10 से ज़्यादा होने चाहिए और इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु ही मुस्लिम सेवा संगठन ने चुनाव 2022 में भाग लिया।

दो विधायक बसपा से और एक कांग्रेस से हैं।

मुस्लिम सेवा संगठन की तरफ से देहरादून हरिद्वार में इस्लामिक संस्कृति केंद्र खोलने की बात कही गई? सातवीं कक्षा तक उर्दू भाषा की शिक्षा अनिवार्य करने की बात कही उर्दू शिक्षा भर्ती और पॉलिटेक्निक शिक्षा में 10% रिजर्वेशन की मांग की गई। ऐसा क्यों?

मुसलमानो को वैश्विक स्तर पर अपना सांस्कृतिक और राजनैतिक इतिहास रहा है। बिना मुसलमान विश्व की परिकल्पना नही की जा सकती और ना ही बिना मुसलमान विश्व का इतिहास लिखा जा सकता है।

भारत वर्ष में भी मुसलमानों का महान इतिहास रहा है, मुसलमान भारत के शिल्पकार में से है, इस देश मे मुसलमानों का गौरवशाली इतिहास रहा है।

मुसलमानों की महान गाथा को जन जन तक पहुँचाने के लिए इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्रों का होना अति आवश्यक है इसलिए मुस्लिम सेवा संगठन ने देहरादून औऱ हरिद्वार ज़िले में इस्लामिक कल्चर सेन्टर की बनाए जाने की मांग की है।

दूसरी बात उर्दू को सातवीं कक्षा तक अनिवार्य करने की तो आपको ये बात समझनी होगी कि उर्दू इस देश की भाषा है। बाहर से आई हुई नहीं। ना ही किसी धर्म विशेष की भाषा है। आम बोलचाल में हम उर्दू का ही प्रयोग करते है केवल लिपि अर्थात लिखने में नहीं करते। उर्दू का एक समृद्ध इतिहास है जिसका संरक्षण अति आवश्यक है। इसलिए सातवीं तक उर्दू शिक्षा अनिवार्य की जाय ताकि उर्दू को संरक्षण प्राप्त हो सके।

रही बात पॉलिटेक्निक में 10 प्रतिशत आरक्षण की टोनये सर्वविदित है कि प्लम्बर से लेकर कार मेकैनिक तक आप किसी भी तकनीकी फील्ड में आप मुसलमान कारीगरों को देखेंगे और उनकी महारत का लोहा पूरी दुनिया मानती है बस ज़रूरत है इस कला को निखारने और उसे सर्टिफाइड करने की ताकि इन बच्चों को उच्च स्तर पर मौका मिले और ये बच्चे अपने हुनर से भारत को विश्व मे तकनीकी स्तर पर अग्रणी बनाने में अपना अमूल्य योगदान दे सकें।

उत्तराखंड के हरिद्वार में धर्म संसद जैसा कार्यक्रम होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात की जा रही है इस पर आप लोग का क्या स्टैंड है?

उत्तराखंड में जो हुआ वो धर्म संसद तो नहीं कही जा सकती इसे आप अधर्म संसद कह सकते है। इस अधर्म संसद पर पूर्व सेना अध्यक्षों ने इस देश के प्रबुद्ध लोगो ने प्रश्न चिन्ह लगाया।

रही बात कॉमन सिविल कोड की तो मुस्लिम सेवा संगठन इसका विरोध करता है क्योंकि ये बिल देश के लिए हानिकारक है क्योंकि देश मे विभिन्न सम्प्रदाय, धर्म, वर्ग, रंग, भाषा के लोग रहते है एवं उनके अधिकारों का संरक्षण आवश्यक है।

उत्तराखंड में 13.95 परसेंट अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी है वहां पार्टी क्यों नहीं इस पर आप क्या कहेंगे!

मौजूदा दौर में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सांसद असद ओवैसी मुखर होकर अपनी बात रखते हैं उनकी तरफ आप लोग किस तरीके से देखते हैं?

मुस्लिम सेवा संगठन को समाज के लोग किस नजर से देखें,इस पर आपकी क्या नजरिया है?

निःसंदेह असद्दुदीन साहब शिक्षित नेता है जो मुसलमान ही नही अपितु प्रत्येक वर्ग की बात प्रभावी ढंग से संसद में उठाते है। कोई भी सांसद किसी धर्म या जाति का नहीं होता अपितु उस लोकसभा के प्रत्येक नागरिक का होता है। असद साहब को मुस्लिम सेवा संगठन एक बेहतरीन, शिक्षित, ईमानदार नेता के तौर पर देखता है और उनकी क़ाबलियत को स्वीकारता है। परंतु मुस्लिम सेवा संगठन एक अलग राजनैतिक संगठन के तौर पर उन्हें अपना प्रतिद्वन्दी भी मानता है।

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