जब साहब पहुंचे ऑस्ट्रेलिया पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी की जुबानी

दिनांक-03 मई बादे असर मो0 शहाबुद्दीन, पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक दिल्ली

शहर के ITO कब्रिस्तान में सुपूर्द-ए-ख़ाक किये गए।

पूर्व सांसद डॉक्टर मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब के इंतकाल के बाद बिहार की राजनीति में भूकंप आ गया है शहाबुद्दीन समर्थक लगातार लालू यादव और उनके परिवार पर तंज कस रहे हैं हालांकि औपचारिक तौर पर हिना साहब और ओसामा साहब का कोई बयान नहीं आया है. क्योंकि पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के इंतकाल के बाद उनके परिवार और समर्थकों को दुख है जिसकी कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती।

इसी बीच बिहार सरकार के पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने पूर्व सांसद डॉक्टर मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब के साथ सिडनी ऑस्ट्रेलिया की तस्वीर शेयर करते हुए अपना विचार साझा किया है.

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखकर समाज को मैसेज देने की कोशिश की है की पूर्व सांसद डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन जैसा शख्स बिहार में ना कोई आया था और ना कोई आ पाएगा उन्होंने कहा कि मैंने इन जैसे ईमानदार व्यक्ति नहीं देखा उनका यह भी कहना है कि लोग प्रसाद के लालच में मंदिर बदल लेते हैं यानी सत्ता के लालच में पार्टी बदल लेते हैं पर इन्होंने ना विचारधारा बदला और ना पार्टी बदली.

बिहार सरकार के पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने पूर्व सांसद डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब के बारे में अपने सोशल मीडिया पर क्या लिखा आइए देखते हैं…..

वे मर गए या मारे गए यह बहस तब तक चलती रहेगी जबतक उनकी मौत की न्यायिक जाँच नहीं हो जाती है। हालांकि न्यायिक जाँच भी किस हदतक सच्चाई तक पहुंच पायेगा यह अभी कहना मुश्किल है।

फिर भी जब उनके परिवार, उनके शुभचिंतको और पार्टी के नेताओं की भी मांग है की न्यायिक जाँच करायी जाए तो फिर डर काहे का, न्यायिक जाँच करानी चाहिए।

मैंने कभी सोचा नही था कि जो व्यक्ति कानून के राज में पुलिस कस्टडी में हो, सज़ा काट रहा हो, कानून पर निर्भर हो वो कैसे बेहतर इलाज से महरूम रह जायेगा?

मैं लगातार उनके परिवार खास तौर पर उनकी अहलिया हिना शहाब, उनके शुभचिंतको के समपर्क में रहा।

जैसे-जैसे उनलोगों ने जिनसे भी संपर्क करने को कहा मैं संपर्क करता रहा चाहे मुख्यमंत्री, बिहार हो या लालू जी या दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉक्टर, सुपरिटेंडेंट या मीसा भारती सांसद वगैरह। स्वयं हिना शहाब मैडम ने मुझे बताया कि सांसद मीसा भारती एवं मनोज झा जी द्वारा भी शहाबुद्दीन साहब को Higher Institution में शिफ्ट करने का अथक प्रयास किया जा रहा है पर कुछ कठिनाइयां आ रही हैं। इसलिए उन्होंने मुझे मा0 मुख्यमंत्री, बिहार से बात करने को कहा ताकि शहाबुद्दीन साहब को Higher Institution में जल्द से जल्द शिफ्ट किया जा सके। इस बाबत मैंने तुरंत ही मा0 मुख्यमंत्री, बिहार से संपर्क किया और उन्हें सारी बातों से अवगत कराया।

दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉ0 रवि पाठक बार-बार कहते रहे की उनके बेहतर इलाज के लिये उन्होंने Higher Institution के लिए अनुशंसा की है। उन्होंने यह भी बताया की DG, Jail ने भी अनुशंसा की है। ऐसा नहीं है की हमारी पार्टी के वरिष्ट नेताओं ने शहाबुद्दीन साहब के अच्छे इलाज हेतु उन्हें AIIMS भेजने के लिए दबाव नही बनाया।

अस्पताल सूत्रों के द्वारा उनकी तबियत critical होने की बात बतायी गयी। फिर बताया गया कि उनका निधन हो गया।

ऐसी स्थिति में उन्हें Higher Institution में नही भेजे जाने का खुलासा तो जेल प्रशासन और गृह विभाग, भारत सरकार को तो करना ही पड़ेगा। ऐसा क्यों नहीं किया गया?

शायद उनकी मृत्यु के बाद जेल प्रशासन द्वारा जो तस्वीर social media पर आयी है उसे देखने से ऐसा लगता है कि वे महीनों से बीमार हो। सांसद एवं विधायक रहे आदमी को AIIMS या किसी अन्य Higher Institution क्यों नहीं भेजा गया? जबकि मुझे ऐसा बताया गया है कि एक नामी-गिरामी अंतरराष्ट्रीय स्तर के अपराधी जो तिहाड़ जेल में ही कैद थे और कोरोना संक्रमित है, को तो AIIMS में इलाजरत रखा गया है।

COVID PROTOCOL में भी भेदभाव क्यों किया जा रहा है। उनके परिवार के लोग, उनके शुभचिंतको एवं पार्टी के नेता लोग भी चाहते थे कि मो0 शहाबुद्दीन साहब को सुपुर्द-ए-खाक उनके मातृभूमि, सीवान में किया जाए तो उन्हें Covid-Protocol का हवाला देकर नही भेजा गया जबकि दो-चार दिन पहले ही दूसरे व्यक्ति को उनके मातृभूमि हरियाणा में दिल्ली से भेजा गया।

देश के संविधान ने व्यवस्था की है की कानून को अपना काम बिना भेदभाव, राग, द्वेष, पक्षपात के कार्य करने का। हम सब जब कभी किसी संवैधानिक पद पर जाते है तो इसकी शपथ भी लेते हैं पर संविधान और उस शपथ का मज़ाक क्यों बनाया जा रहा है?

मैं फेसबुककीय नही हूँ, यदा-कदा कुछ पोस्ट करता हूं। उनकी मौत की खबर एक पहेली की तरह है। कभी खबर चली की उनकी मौत हो गयी, फिर उनकी मौत का खंडन किया कि वे इलाजरत है और कुछ घंटों के बाद फिर उनकी मौत। मैंने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा होगा, मैं स्तब्द्ध हूँ।

मेरा उनसे केवल राजनीतिक रिश्ता नहीं था। उनके दादा मरहूम मेरे नाना मरहूम अमीर-ए-शरियत इमारत शरिया मौलाना अब्दुर रहमान साहब के मुरीद थे। उनके मामू मरहूम मुस्तकीम साहब Judicial Magistrate भी मेरे करीबी थे। मेरा उस परिवार से असल रिश्ता इस संबंध का है। जो घटनाक्रम है उससे गुस्सा स्वाभाविक है।

जब भी पार्टी पर किसी तरह का संकट आया तो शहाबुद्दीन साहब पार्टी के लिए स्तम्भ बनकर खड़े रहे और पार्टी के नेता श्री लालू प्रसाद जी भी उनके लिए। बहुत सारी यादें हैं.

अभी कुछ महीने पहले कोर्ट के आदेश से परिवार से मिलने दिल्ली में जेल से बाहर पुलिस कस्टडी में आये थे। उन्होंने किसी अन्य के मोबाइल से मेरे मोबाइल पर मुझे समपर्क किया। बहुत अपने की तरह मेरा हालचाल पूछा। मैंने उनसे पूछा आप कौन बोल रहे है तब उन्होंने अपना नाम बताया। फिर उन्होंने कहा की मैं बहुत जल्द ही बेटी की शादी के समय आऊंगा तो ढेर सारी बातें होंगी। अब वो बातें कभी नहीं होंगी।

उनके साथ की एक तस्वीर जब मैं और वे सिडनी ओलिंपिक में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा गए थे, उस वक़्त की तस्वीर।

मो0 शहाबुद्दीन साहब की मौत से मुझे कभी न पूरा होने वाला छती पहुंचा है। वो मेरे छोटे भाई की तरह थे, जो मेरे अच्छे-बुरे वक्त पर कंधा से कंधा मिलाकर चलते थे। उनके गुज़र जाने से मुझे बेहद गम है। उस गम को अल्फाज़ो से बयान करने के लिए मेरे पास अल्फ़ाज़ नही हैं।

पार्टी, पार्टी के नेताओं, उनके शुभचिंतको, उनके पारिवारिक संबंधियों को उनके परिवार खासतौर पर उनके बच्चों और उनकी पत्नी हिना शहाब के साथ परिवार की तरह दुख-सुख में मज़बूती से खड़ा होना ही सच्ची अक़ीदत/श्रद्धांजलि होगी।

पूर्व सांसद डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन के इंतकाल के बाद बिहार के पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने अपने व्यक्तिगत विचार सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर किया है.

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