Facebook New Name: फेसबुक को लेकर मार्क जुकरबर्ग ने बड़ा एलान किया है। Facebook के फॉर्मर सिविक इंटीग्रिटी चीफ समिध चक्रवर्ती ने इस नाम का सुझाव दिया है।
जैसे कि बताया जा रहा है कि Mark Zuckerberg virtual reality और augmented reality में काफी पहले से इंवेस्मेंट कर रहे हैं।
एक ऐसी जगह जहां हम खेलेंगे और 3D तकनीक के जरिए एक दूसरे से जुड़ेंगे। Social media के अगले चैप्टर में आपका स्वागत है।”
फेसबुक की ओर से 15 सेकेंड का एक वीडियो जारी किया गया है जिसमें यह दिखाया गया है कि Facebook का नाम बदलकर अब Meta कर दिया गया है। Video में Meta का LOGO भी जारी किया गया है। Vertical 8 को देखते हुए Meta का LOGO Blue colour में जारी किया गया है।
Facebook की तरफ से ये भी कहा गया कि वह ‘मेटावर्स’ के लिए अपने विजन को बढ़ाने के लिए 10 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च करेगा।
Facebook founder Mark Zuckerberg ने ये भी कहा कि भविष्य के लिए डिजिटल रूप से हो रहे बदलाव को शामिल करने के प्रयास है। यह बदलाव इन सबके Gaurdian कंपनी के लिए है। यानी Meta पेरेंट कंपनी है और फ़ेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम इनके हिस्सा है। Mark Zuckerberg ने आगे ये भी कहा है कि आने वाले समय में कंपनी यूजर्स के लिए कई तरह के सेफ्टी कंट्रोल उपलब्ध कराएगी।
Facebook के ex co– worker ने जो दस्तावेज़ लीक किए हैं, उनसे जुड़ी यह सबसे ताज़ा रिपोर्ट है।
इसके अलावा ऐसी रिपोर्ट भी आई कि फ़ेसबुक ने उस शोध को ठंडे बस्ते में डाल दिया, जिसमें कहा गया था कि इंस्टाग्राम से किशोरों पर मानसिक रूप से बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कंपनी का विज्ञापन माडल लगातार जांच के दायरे में आ रहा है।
साथ ही कंपनी मेटावर्स के निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहती है। उसने पहली बार 2014 में अपनी महत्वाकांक्षाओं का संकेत दिया था, जब उसने वर्चुअल रियल्टी हेडसेट निर्माता ओकुलस का अधिग्रहण किया था।
Facebook को पता था कि उसकी सेवाओं का इस्तेमाल धार्मिक नफ़रत फैलाने के लिए हो रहा है।
इसके अलावा फेसबुक के रिसर्चर्स द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट से पता चला है कि फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान वॉट्सऐप पर ‘हिंसा के लिए उकसाने और अफवाहों’ भरे मैसेजेस को बढ़ावा दिया गया था, और फेसबुक को पहले से ही इसकी जानकारी थी कि उसकी सेवाओं का इस्तेमाल हिंसा भड़काने के लिए किया जा रहा है।
पहली घटना विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन था। इस दौरान फर्जी खबरें या अफवाहों, हेट स्पीच इत्यादि की संख्या ‘पिछले के मुकाबले 300 फीसदी’ बढ़ गई थी।
इसके बाद दिल्ली दंगों के दौरान भी यही स्थिति रही। इस दौरान खासतौर पर वॉट्सऐप के जरिये अफवाह और हिंसा भड़काने की बातों की पहचान की गई।
कोविड-19 महामारी की शुरुआत के समय फेसबुक की सेवाओं पर इस तरह की सामग्री की संख्या काफी बढ़ गई,
जहां भारत में कोरोना फैलने के लिए मुसलमानों, विशेषकर तबलीगी जमात, को जिम्मेदार ठहराकर भय का माहौल बनाया गया था।
एक रिपोर्ट में लिखा कि एक हिंदू व्यक्ति ने बताया है कि उन्हें फेसबुक और वॉट्सऐप पर ‘हिंदू खतरे में हैं’ और ‘मुस्लिम हमें खत्म करने वाले हैं’ जैसे मैसेजेस आए दिन प्राप्त होते रहते हैं।
नाम में बदलाव का यह घटनाक्रम ऐसे समय आया है कि जब कंपनी अपनी बाजार की शक्ति, उसके Algorithm decision और अपने प्लेटफार्मों पर नफरत को बढ़ावा देने की आरोपों को लेकर सांसदों और नियामकों की आलोचनाओं से जूझ रहा है।
सूत्रों के अनुसार कहा गया कि यह बदलाव एक नए ब्रांड के तहत उसके विभिन्न ऐप और तकनीकों को एक साथ लाएगा। साथ ही कहा गया कि वह अपने कॉरपोरेट ढांचे को नहीं बदलेगा।
उन्हें उम्मीद है कि यह एक ऐसा नया प्लेटफार्म होगा जो रचनाकारों के लिए ‘लाखों’ नौकरियां को अवसर देगा।
यह घोषणा ऐसे समय पर आयी है जब फेसबुक अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है। फेसबुक पेपर्स में खुलासे के बाद इसे दुनिया के कई हिस्सों में विधायी और नियामक जांच का सामना करना पड़ रहा है।
“Be aware of Truth & Fake News, because news is about information, not about perception and decision.”
By: Tanwi Mishra
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