बिहार के मिट्टी से बने साहब दिल्ली में हुए सुपुर्द ए खाक

डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब किसी तारूफ के मोहताज नहीं।

विकास पुरुष, जरूरतमंदों के मसीहा, मजलूमो के बाहुबली, सिस्टम से सताए हुए लोगों के लिए रोबिन हुड, गरीबों के भगवान, जनता के लिए साहब के नाम से मशहूर पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब लोगों के दिलों में बसते हैं।

जरूरतमंदों के भगवान पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब दिल्ली के आईटीओ कब्रिस्तान में हुए सुपुर्द ए खाक

 

जिस तरीके से अंग्रेजी हुकूमत ने बहादुर शाह जफर को दिल्ली में दफन ना करके रंगून में किया था शायद उसी तरीके का नजारा देखने को मिला पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब को इनके जन्म स्थल बिहार में दफन ना करके दिल्ली के आईटीओ कब्रिस्तान में दफन किया गया.

विकास पुरुष के नाम से मशहूर मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब बिहार से दो बार विधायक और चार बार सांसद सांसद थे हला के बाद में चुनाव आयोग और कोर्ट में प्रतिबंध लगा दिया था.

इन्हें पढ़े-लिखे नेता के तौर पर देखा जाता है पूर्व सांसद डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन 1994 में M.A. की पढ़ाई पूरी की बाद में बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर से 2003 में पीएचडी की डिग्री हासिल किया.

तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया पूर्व सांसद डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन कोविड-19 से संक्रमित थे और 20 अप्रैल को दीनदयाल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.

हाई कोर्ट दिल्ली ने बुधवार को आम आदमी पार्टी सरकार और जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि पूर्व सांसद शहाबुद्दीन का इलाज ठीक से किया जाए.

समर्थक और परिवार का आरोप है कि हम लोगों ने कोशिश किया कि एम्स में इलाज हो और हाई कोर्ट आर्डर होने के बावजूद सिस्टम की लापरवाही से केंद्र और दिल्ली सरकार की मिलीभगत से दीनदयाल हॉस्पिटल जैसे छोटे अस्पताल में भर्ती कराया गया नतीजा यह रहा कि लोगों के चहेते पूर्व सांसद डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन 1 मई को इस दुनिया से रुखसत हो गए.

पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन 2004 में दोहरे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे. कानून जानकारों के मुताबिक उनके मृत्यु के बाद सजा अपने आप पूरी भी हो जाती है.

वही समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता और परिवार वाले पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का पार्थिव शरीर जन्म स्थल ले जाने पर नाकामयाब हो गए वही 1 दिन पहले आज तक की एंकर रोहित सरदाना करोना पॉजिटिव होने के बावजूद उनका शव गृह जिला भेज दिया था.

हालांकि परिवार और समर्थकों का आरोप है कि पूर्व सांसद डॉक्टर शहाबुद्दीन साहब का मृत्यु के बाद करो ना रिपोर्ट नेगेटिव आया था फिर भी केंद्र और राज्य सरकार दिल्ली और बिहार के दोनों को मानसिकता को देखा जा सकता है कि किस तरह से दुर्व्यवहार किया गया.

वहीं राजद पार्टी के तरफ से तेजस्वी यादव का कहना है किस सिस्टम में बैठे कुछ लोगों की हटधर्मी की वजह से लालू जी के साथ साबुद्दीन साहब ने जिस तरह से राजद को सींचा था हम उनको जन्म स्थल लाने में असमर्थ हो गए.

वही आईटीओ कब्रिस्तान कमेटी के मेंबर का कहना है की बम ब्लास्ट के आरोपी मेमन को फांसी देकर उनके शरीर को सौंप दिया जाता है निर्भया केस के आरोपी को फांसी देकर सौंप दिया जाता है तो फिर देश के लोकसभा मंदिर के चार बार के सांसद पूर्व मोहम्मद शहाबुद्दीन का पार्थिव शरीर उनके परिवार को क्यों नहीं सौंपा गया शायद एक वजह यह भी हो सकती है क्यों अगर अपने गृह स्थल पर दफन होते तो उनके जनाजे की भीड़ विरोधियों की उनकी ताकत का एहसास दिला देती चाहे कोई और भी वजह हो सकती है।

वही अंडरवर्ल्ड के डॉन छोटा राजन का एम्स में इलाज चलना और लोकसभा मंदिर के पूर्व सांसद का दिल्ली के एक छोटे से अस्पताल में इलाज चलना इस पूरे मामले को देखा जाए तो कुछ लोगों का कहना यह भी है कि हमारे साहब के साथ राजनीतिक षड्यंत्र भी रची गई है.

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