परीक्षा में PHD लेवल के सवाल?
मेंढकों में लाल रक्त कोशिकाएं न्यूक्लिएटेड, एनक्यूलेटेड, ट्राइफिड या बिफिड क्या होती हैं?
नहीं समझ पाए? आप अकेले नहीं हैं. हरियाणा पुलिस में 5,500 पुरुष कांस्टेबल रिक्तियों के लिए प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले 8.29 लाख उम्मीदवारों के एक बड़े हिस्से के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है.
रविवार से शुरू होकर मंगलवार तक चलने वाली तीन-राउंड की प्रवेश परीक्षा कठिन होने की उम्मीद तो थी, लेकिन इस बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि इस परीक्षा का आयोजन करने वाले हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) को इन अभ्यर्थियों से किस स्तर की योग्यता की अपेक्षा है. इसमें अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने की थी.
लेकिन इसमें पूछे गए कुछ सवाल इतने कठिन थे कि विपक्षी दल कांग्रेस ने इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उनके मंत्रिमंडल को यह परीक्षा देकर कम से कम 33 प्रतिशत अंक हासिल करने की चुनौती दे रही है.
कांग्रेस ने अब यह मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है, पार्टी महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कांफ्रेस की और मांग की कि मुख्यमंत्री खट्टर, उनकी कैबिनेट और यहां तक कि राज्य के पुलिस महानिदेशक भी इस प्रश्नपत्र को हल करके और परीक्षा पास करके दिखा दें.
सुरजेवाला ने कहा, ‘हरियाणा के युवाओं की ओर से मुख्यमंत्री और उनके पूरे मंत्रिमंडल के सामने एक चुनौती है कि वे एक साथ बैठें और इस पुलिस कांस्टेबल परीक्षा में 33 प्रतिशत अंक हासिल करके दिखा दें. सच्चाई यह है कि इस परीक्षा में वे पूरी तरह फेल हो जाएंगे. फिर यह सब हरियाणा के युवाओं के साथ क्रूर मजाक नहीं तो और क्या है?’
सुरजेवाला ने कहा कि परीक्षा देने वाले कई अभ्यर्थियों ने उनसे संपर्क साधा और बताया कि हरियाणा से संबंधित सवाल बहुत ही कम थे.
हालांकि, एचएसएससी ने पेपर का बचाव किया है. एचएसएससी के अध्यक्ष भोपाल सिंह ने स्वीकार किया कि प्रश्नपत्र कठिन हैं, लेकिन कहा कि उनके संगठन को परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों की संख्या को देखते हुए कुछ तो करना ही था.
भोपाल सिंह ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा, ‘जब पदों की संख्या सीमित ही है और आवेदकों की संख्या बहुत ज्यादा है तो हमारे लिए एक कठिन पेपर तैयार करना ही था ताकि हम योग्य लोगों का चयन कर सकें. यही वजह है कि हमारे पास ग्रुप डी भर्ती का पेपर भी कठिन था. तब भी इस मामले को उठाया गया था.’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब परिणाम घोषित किए गए, तो ऐसा नहीं है कि कोई भी प्रवेश परीक्षा पास नहीं कर पाया हो. तमाम लोगों ने परीक्षा पास की.
वे अत्यधिक योग्य थे, कुछ पीएचडी भी थे. ग्रुप डी की आवश्यकता से कहीं अधिक योग्य. फिर यही मुद्दा उठता है, हम ज्यादा योग्य लोगों को परीक्षा में बैठने से नहीं रोक सकते.’
By: Poonam Sharma
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