नौशेरा का शेर कहे जाने वाले ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी ना होते तो कश्मीर भारत का ना होता

ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी का नाम उन अज़ीम शहीदों में भी शामिल है जो अब तक हुई जंगों में मैदान ए जंग में लड़ते हुए शहीद होने वाले उच्च अधिकारियों में इकलौते शख्स हैं।

ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी की वतन से मुहब्बत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भारत और पाक के बंटवारे के समय पाकिस्तान के हिस्से में गई सेना के बलूच रेजीमेंट कमांडर होने के बाद भी आपने भारतीय सेना को महत्व देते हुए कमांडर पद त्याग दिया और भारतीय सेना का हिस्सा बने।

ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी साहब की बहादुरी और वतन परस्ती का जज़्बा ये था कि पाकिस्तान से जंग के दौरान आपके नेतृत्व वाली सेना की टुकड़ी ने पाकिस्तान के लगभग 967 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और साथ ही लगभग 1000 सैनिकों को घायल कर दिया।ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी की इस बहादुरी से तिलमिलाये पाकिस्तान ने आपके सर पर उस समय 50000 का इनाम भी घोषित कर दिया था।

ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी साहब की बहादुरी से प्रभावित पाकिस्तान की उस समय की तत्कालीन सरकार ने ब्रिगेडियर उस्मान को पाकिस्तानी सेना का सेना प्रमुख बनाए जाने का भी ऑफर दिया लेकिन ब्रिगेडियर उस्मान ने अपने देश भारत की मुहब्बत में पाकिस्तान के इस सबसे बड़े पद को एक पल में ठुकरा दिया था।

आज नौशेरा के शेर के नाम से जाने जाने वाले हमारे परनाना ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी साहब के यौम ए शहादत के दिन उनकी मज़ार पर पहुंच कर उन्हे याद किया।

को बता दे नौशेरा का शेर कहे जाने वाले ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी बहुत छोटी सी उम्र यानी अपनी 36 साल के जन्म दिवस के 12 दिन पहले ही पाकिस्तान से लोहा लेते हुए हिंदोस्तान के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए थे।

पूर्वांचल के दिग्गज नेता मुख्तार अंसारी के बेटे मऊ के विधायक अब्बास अंसारी और उनके भाई उमर अंसारी ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी कि जामिया कब्रिस्तान स्थित कबर पर फुल चढ़ाकर फातिहा पढ़ा।

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