जहां एक तरफ दुनिया में रमजान जैसा त्यौहार शुरू है वहीं भारत में रामनवमी और नवरात्रि का भी त्यौहार साथ साथ हैं जहां एक तरफ धर्म के नाम पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है वहीं दूसरी तरफ दोनों समुदाय को त्यौहार का एक साथ आना क्या यह शांति का संदेश समझा जाए।
आपको बता दें जब-जब दो समुदायों के त्यौहार एक साथ आते हैं तो देश में कई जगह संप्रदायिक मामले सामने आ जाते हैं हाल ही में मामला सीतापुर से है।
सीतापुर के खैराबाद के श्री लक्ष्मण दास आश्रम के महंत बजरंग मुनि दास ने हिंदू वर्ष के मौके पर एक जुलूस निकाला और जैसे यह जुलूस मस्जिद के पास पहुंचा उन्होंने लाउडस्पीकर पर नफरत थी भाषा देना शुरू कर दिया वह वीडियो में वायरल हो रहा है सोशल मीडिया पर सुनाई देते हुए दिखे कि मैं आपको पूरा प्यार से यह कह रहा हूं कि अगर खैराबाद में एक भी हिंदू लड़की को आपके द्वारा छोड़ा गया तो मैं आपकी बेटी और बहू को आपके घर से बाहर लाऊंगा और उसके साथ बलात्कार करूंगा।
राष्ट्रीय महिला आयोग के शिकायत पर पुलिस ने आश्वासन दिया है कि हम कार्रवाई करेंगे और भाषा में किसी भी तरह का अपमानजनक होने पर गिरफ्तारी की जाएगी।
गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए महंत बजरंग मुनि दास सोशल मीडिया के जरिए माफी मांगने का काम कर रहे हैं।
सबसे बड़ा सवाल कोई किसी के महिला को क्यों छोड़ेगा और अगर कोई अपराध करेगा तो उसके लिए प्रशासन और न्यायालय है क्या अपराध का खत्म अपराध से ही किया जाएगा महंत जी क्या संदेश देना चाहते हैं महिला तो महिला है चाहे किसी भी वर्ग की हो उनका सम्मान हर वर्ग को करना चाहिए और यही बात महंत मुनि दास को भी अपने जहन में रखना भी चाहिए।
जैसे ही दोनों त्यौहार एक साथ आए राजस्थान के करौली में संप्रदायिक मामला सामने आया मेरठ में वेज बिरयानी वालों का ठेला पलट दिया गया और द क्विंट खबर के अनुसार पुलिस अधिकारी सामने वाले को यह बता कर समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मैं तुमसे ज्यादा कट्टर हिंदू हूं उसमें मीट की बिरयानी नहीं बल के सोयाबीन की बिरयानी है।
सबसे बड़ा सवाल कि देश संविधान से चलेगा या फिर धर्मवाद से यह तय करना जनता का काम है आपको अगर खबर अच्छी लगी तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।