उत्तरप्रदेश| यूपी में मतदान खत्म हो गया है। प्रदेश की जनता ने भाजपा पर पुनः विश्वास जताया है और यूपी की बागडोर एक बार पुनः भारतीय जनता पार्टी के हाँथो में गई है। वही हमने अक्सर देखा है कि मुस्लिम वोट बैंक को लेकर अक्सर लोग सवाल करते हैं।
अब इसी संदर्भ मे पसमांदा हुकूक मोर्चा सदर मोहम्मद नदीम अंसारी में कहा, भारत में होने वाले लगभग सभी चुनावों में भारतीय मुसलिम समाज को हमेशा ही एक ऐसे वोट बैंक के रूप में जाना जाता है जो एकतरफा वोटिंग करता है और चुनावी टिकट वितरण के समय भी उन्हें एक ही शख़्सियत के रूप में देखा जाता है।
उन्होंने कहा, राजनीतिक दल और बड़े पत्रकारिता समूह जाने-अनजाने में यह भूल जाते हैं कि मुस्लिम राजनीति पर कुछ मुट्ठी भर अशरफ नेताओं ने कब्ज़ा किया हुआ है जो एक बेहद छोटी मुस्लिम जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और वहीं बहुसंख्यक पसमांदा मुस्लिमों को हमेशा दरकिनार किया जाता है।
पिछली सभी पार्टियों जिन्होंने भी उत्तर प्रदेश में सरकारें बनायीं हैं, हमेशा अशरफ मुस्लिम सियासतदानों को मंत्रिमंडल में शामिल किया है और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है। कुछ मौकों पर तो इस मंत्रालय की जिम्मेदारी शिया मुस्लिम लीडर को भी दी गयी है जिनकी तादात पसमांदा मुसलमानों की तादात के मुकाबले बहुत ही कम है।
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय एक महत्वपूर्ण मंत्रालय है जिसकी नुमाइंदगी मुसलमानों की 85% जनसंख्या वाले पसमांदा मुसलमानों में से किसी सियासतदान को मिलनी चाहिए ताकि वह मुस्लिम जनसंख्या के एक बड़े तबके को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य कर सकें। क्योंकि वह खुद पसमांदा समाज से आएगा तो उसको एक बड़ी जनसंख्या की परेशानी और जरूरतों की पूरी जानकारी होगी जो किसी अशरफ या शिया मुस्लिम लीडर की नहीं होती है।
पिछली सरकार ने पिछड़े और दलित वर्ग के लिए जो कल्याणकारी योजनाएं चलाई थी उनमें पसमांदा मुसलमानों को बहुत फायदा पहुंचा और मैं यह उम्मीद करता हूं कि यह फायदा आपकी नई सरकार में भी पसमांदा मुसलमानों को मिलता रहेगा।
पसमांदा हुकूक मोर्चा जो कि एक युवा संगठन है और पसमांदा मुस्लिमों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने की लिए प्रतिबद्ध है, इस अवसर का लाभ उठाते हुए इस खत के जरिए आपसे यह गुजारिश करती है कि किसी पसमांदा मुस्लिम को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी जाए जिससे मुसलमानों की एक बड़ी जनसंख्या का सामाजिक और आर्थिक विकास मुकम्मल हो सके।