हिंदू राष्ट्र (Hindu Rashtra) की मांग के आधार पर खालिस्तान (Khalistan) को उचित ठहराना कितना सही !?
पंजाब में इन दिनों खालिस्तान आंदोलन फिर से जोर पकड़ता दिखाई दे रहा है। खालिस्तानी नेता और समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले की तर्ज पर 29 वर्ष के अमृतपाल सिंह ने खालिस्तान मूवमेंट को फिर से हवा दी है। पंजाब राज्य के कुछ युवा वर्ग को अपनी तरफ आकर्षित करते हुए खालिस्तान की मांग को फिर से हवा देने के लिए एक जोरदार अभियान शुरू किया है।
1980 के दशक में देश में रहने वाला कोई भी पंजाबी खालिस्तान और भिंडरावाले के लिए पूरे पंजाब में फैले विद्रोह द्वारा हिंसा रक्तपात को नहीं भूलेगा।
आखिर में भिंडरावाले को राज्य बलों द्वारा मार दिया गया,
अमृतपाल सिंह पुराने खालिस्तानी आंदोलन को जीवित करने के लिए एक नई रणनीति अपनाते हुए दिखाई दे रहे हैं। अमृतपाल सिंह कहते हैं भारत के मौजूदा शासित राजनीतिक वर्ग देश के हिंदू राष्ट्र घोषित करने के आह्वान पर कोई आपत्ति नहीं तो सिख खालिस्तान की मांग क्यों नहीं कर सकते।
खालिस्तान की उत्पत्ति
खालिस्तान का मतलब खालसे की सरजमीन , देश के पंजाब राज्य के सिख अलगाववादीयों द्वारा प्रस्तावित राष्ट्र को दिया गया नाम है।
खालिस्तान के क्षेत्रीय दावे मैं मौजूदा भारतीय राज्य पंजाब चंडीगढ़ हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली और इसके अलावा राजस्थान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड इत्यादि राज्यों के भी कुछ क्षेत्र शामिल है। खालिस्तानी अलगाववादीयों ने 29 अप्रैल 1986 को भारत से अपनी एक तरफा आजादी की घोषणा की और 1993 मैं खालिस्तान यूएनपीओ का सदस्य बना। 1980 या 1990 के दशक में खालिस्तान आंदोलन चरम पर था, बाद में 1995 तक भारत सरकार ने इस आंदोलन को दबा दिया।
हिंदू राष्ट्र की माँग की आधार पर सिख राष्ट्र की मांग
1940 में खालिस्तान जिक्र खालिस्तान नामक एक पुस्तक में किया गया । देश आजाद होने के बाद अलग सिख राष्ट्र की मांग उठने लगी। और 1980 के दशक तक यह आंदोलन अपने चरम तक पहुंच गया। 1984 के दशक मैं उग्रवाद की शुरुआत हुई जो 1995 तब चला इस उग्रवाद को कुचलने के लिए भारत सरकार और सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार,ऑपरेशन- बूड रोज, ऑपरेशन ब्लैक थंडर 1 तथा ऑपरेशन ब्लैक थंडर 2 चलाएं। इन कार्यवाहीयो के बाद उग्रवाद तो बहुत हद तक कम हो गया पर इसमें कई आम नागरिकों की जान गई। तथा भारतीय सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे।
हिंदू राष्ट्र hindu rashtra और खालिस्तान khalistan movement
कई दशकों से उठती आ रही खालिस्तान नाम के अलग राज्य की मांग को अमृतपाल सिंह ने यह कहते हुए सही ठहरा दिया की जिस देश में हिंदू राष्ट्र की मांग हो सकती है और सरकार उसका खुला समर्थन करती है । तो खालिस्तान की बात क्यों नहीं हो सकती!
जिस प्रकार हिंदुत्व प्रचारकों द्वारा हिंदू राष्ट्र hindu rashtra की मांग करना और मुस्लिम नरसंहार का आह्वान करना। देश की अखंडता के लिए हानिकारक है। उसी तरह खालिस्तान की मांग करना भी देश को एक घनघोर धार्मिक राज्य युद्ध की तरफ ले जाता है।
हिंदू राष्ट्र की तर्ज पर खालिस्तान खालिस्तान khalistan movement की मांग करना धार्मिक राजनीति के खतरे को उजागर करता है।
Writer: Mohammad Paras हिस्ट्री के छात्र हैं, आरएसएस के हिंदू राष्ट्र और अमृतपाल सिंह का खालिस्तान आंदोलन पर टिप्पणी।
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