“कृष्ण जन्माष्टमी” क्यों मनाई जाती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।

आधी रात को मनाए जाने वाला यह दिन मथुरा वृंदावन और कृष्ण से जुड़े सारे पवित्र स्थल पर बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

भगवान विष्णु के आठवें अवतार  देवकी – वासुदेव की आठवीं संतान होने और भाद्रपद मास के आठवें दिन जन्मे इस अवतरण का जन्म कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में प्रचलित है। इनके अनेक स्वरूप और हर रूप की  अद्भुत लीला थी।

इस रात मथुरा वृंदावन में रास लीला का मुख्य रूप से आयोजन किया जाता है। कहते हैं इस इस पवित्र रोहिणी रात्रि में आज भी कृष्ण राधा अपने ईश्वरीय प्रेम की उपस्थिति को जीते हैं।

 

जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं, इसके पीछे की पूरी कहानी।

कृष्ण का नाम लेते ही एक ही शब्द हमारे दिलों दिमाग में आता है वह है प्रेम कृष्ण ने जन्म से कण-कण में सिर्फ प्रेम का विस्तार किया है। माना गया है कि राधा तो जीवात्मा  और कृष्णा परमात्मा इसलिए दोनों का मिलन तो होना ही था और सारे बंधनों से मुक्त इनका मिलान था।

राधा और कृष्ण के निस्वार्थ प्रेम पृथ्वी पर प्रेम के महत्व वह अर्थ को समझाने के लिए हुआ था। जो आप राधा कृष्ण के प्रेम भावना की शक्ति के माध्यम से देख सकते हैं।

इस दिन दही हांडी से लेकर गरबा डांस देश के अलग-अलग राज्यों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। श्री कृष्ण जी कि कहीं भी पूजा अकेले नहीं की जाती क्योंकि उनके व राधा जी के बीच में जो अटूट प्रेम था वह अलौकिक था।

उसकी चर्चा पूरे ब्रह्मांड में है कृष्ण जी ने राधा जी से वादा किया था कि वह भले ही पति-पत्नी ना हो पाए हो पर उनका प्रेम संसार के हर रिश्ते से पवित्र माना जाएगा।

इसलिए हर प्रसिद्ध स्थल में कृष्ण जी के साथ राधा जी का भी अस्तित्व देखने को मिलता है। वह एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं कहते हैं  श्री कृष्ण ने एक बार राधा जी से कहा था जहां जहां प्रेम होगा वहां वहां हम होंगे।

श्री कृष्ण अपने नटखट स्वरुप के लिए भी जाने जाते हैं और उनका यह रूप बाल रूप से लेकर आजीवन उनके बड़े होने तक देखने को मिला।कृष्ण के मन में सबका सम्मान है। वे मानते हैं कि सभी को अपने अनुसार जीने का अधिकार है।

कृष्ण ने बाल लीला से भगवत गीता तक मनुष्य के जीवन में ज्ञान और प्रेम का ही प्रचार किया है।

“परम प्रेममय राधिका।
कृष्णा परम उल्हास ।।
मधुर मिलन के चढ़ जाए ।
कण कण में है महारास।।”

राधे कृष्णा राधे कृष्णा 

इस जानकारी को रोचक बना कर आप तक पेश करने वाली तन्वी मिश्रा हैं।

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