नोट:- विषय ये नहीं की अटाला मस्जिद के बाहर चबूतरे पर प्रशासन द्वारा की गयी कार्यवाही सही है या नहीं
सवाल ये है कि मस्जिद की कमेटी की ज़िम्मेदारी क्या है?
अब आते हैं असल मुद्दे पर,इन दिनों अटाला मस्जिद खूब चर्चे में है क्योंकि लागभग तीन हफ्ते पूर्व किसी व्यक्ति द्वारा कुछ सेकंड की वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर इस मैसेज के साथ वायरल किया गया कि अटाला मस्जिद के अंदर से मंदिर के साक्ष्य को मिटाया जा रहा जिसके बाद पुरातत्व विभाग की टीम निरीक्षण करने पहुँची और जनपद के उच्च अधिकारियों ने भी पहुंचकर कई बार मस्जिद का मोआइना कर उस खबर को झूट क़रार दिया,मगर इस बीच मस्जिद की कमेटी ने प्रशासन से मिलकर ऐसी भ्रामक खबरें फैलाने वालों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की ये बड़ा सवाल बना हुआ था।
इसी बीच लगभग एक हफ्ते बाद प्रशासन ने अतिक्रमण के नाम पर मस्जिद की लगभग 65 दुकानों की परछत्ती को हटवा दिया फिर भी कमेटी ने प्रशासन से मिलकर दुकानदारों के मसायल को हल करने के बजाय दुकानदारों के मुताबिक़ ये कहने लगी कि हम चाहते हैं कि मस्जिद “पुरातत्व विभाग” की देख रेख में चली जाए और उसके बाद ही मस्जिद के मेन गेट पर भारतीय पुरातत्व विभाग का बोर्ड लगा दिया गया (फिलहाल मस्जिद वक़्फ़ बोर्ड में दर्ज है जिसका संचालन कमेटी कर रही है) और आज फिर प्रशासन ने पूर्व में उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन न करने पर अतिक्रमण अभियान चलाते हुए दुकानों के सामने बने हुए चबूतरों को तोड़कर हटवा दिया इस कार्रवाई को देखते हुए दुकानदार कमेटी के अध्यक्ष और सेक्रेटरी के घर पहुंचे तो वहाँ से उनको जवाब मिला के घर पर नहीं है बाहर गए हुए हैं जबकि लोगों का कहना है कि कुछ ही देर पहले अध्यक्ष को अटाला मस्जिद के पास की एक दुकान पर बैठा हुआ देखा गया था लोगों में गुस्सा प्रशासन के कार्य से नहीं बल्कि मस्जिद की कमेटी से है।
मस्जिद कमेटी को ये चाहिए था कि ऐसी स्थिति में वो दुकानदारों के साथ खड़ी रहती और प्रशासन से मिलकर इस कार्रवाई के सिलसिले से बात करके दुकानदारों को होने वाली समस्याओं पर बात करती मगर कमेटी अपने दामन और कुर्सी को सिर्फ़ बचाती नज़र आ रही है कुछ लोगों की दबी जुबान से ये भी सुनने को मिल रहा है की लखनऊ में बैठा हुआ एक शख्स जो वक़्फ़ की जमीनों का जानकार और वक़्फ़ माफ़िया है जो अपने लोगों को जौनपुर की मस्जिदों और मज़ारों और वक़्फ़ प्रॉपर्टीज का मुतवल्ली व अध्यक्ष बनाकर सिर्फ़ पैसों की बन्दर बांट करता है जिसे इन इमारतों की देख-रेख से कोई सरोकार नहीं मस्जिद के अंतर्गत लागभग 65 दुकाने हैं जिनसे किराया भी वसूल किया जाता है जिसका हिसाब कमेटी द्वारा आजतक किसी को नहीं दिया गया ,ऐसी स्थिति मे लोगों को खासकर युवाओं मे कमेटी के प्रति काफी रोष देखा गया लोगो द्वारा ये भी कहा गया की अब नौजवानों को आगे आकर ऐसे लोगों के हाथों से क़ौम की प्रॉपर्टीज को छीन करके किसी ईमानदार शख्स के हाथों में सौंपने की ज़रूरत है ताकि जिसका हिसाब किताब अवाम के सामने पेश किया जा सके।
क्या भूल गयी जौनपुर की अवाम के हमारे बुज़ुर्गों ने इसी अटाला मस्जिद को वक़्फ़ बोर्ड में दर्ज करवाने के लिए कितनी लड़ाइयां लड़ी हैं और आज कुछ लोगों की चाहत यही है कि ये मस्जिद मुसलमानों के क़ब्ज़े से लेकर फुल्ली तौर पर पुरातत्व विभाग को सौंप दिया जाये फ़िर किला वाली मस्जिद का हाल अटाला मस्जिद का भी होगा इस मामले में शहर के समझदार और क़ाबिल लोगों को आगे आकर इसपर संजीदगी के साथ बात करने की ज़रूरत है।
अजवाद क़ासमी की जौनपुर से रिपोर्ट।