कर्मार्थ : “जैसा तुम करोगे, वैसा तुम भरोगे ’’

आज का विषय है लिखने का वो है “कर्मा”

 

“जैसा तुम करोगे, वैसा तुम भरोगे ’’ यह ‘कर्मा’ का सबसे महत्वपूर्ण और सच्चा नियम है, किसी भी काम को करने का अगर हमारा  Intention (इरादा) अच्छा या बुरा हो ,तो वह कर्मा कहलाता है।

जिसे आज का हर इंसान जानता तो है पर समझना नहीं चाहता।

हम सब  जानते है अपने कर्मों का फल इसी जीवन में ही मनुष्य को भोगना होता है, और सभी के कर्म घूम-फिरकर, कभी ना कभी सामने आ खड़े होते हैं।

(यह उदाहरण सभी जेनरेशन (पीढ़ी) के लोगो के लोगो के लिए है, अगर आज हम अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करते हैं, तो ये ‘कर्मा’ तब हमारे पास वापस आएगा जब हमारे बच्चे हमें बेइज्ज़त करेंगे।)

ये बात तो हमे सब बताते है , पर इस बात की गहराई को समझना भूल जाते है, की बाते सभी पे सटीक और समान बैठती है । यही है ‘कर्मा’ का नियम। तो अगर खुश रहना चाहते हो तो, इज्‍ज़त कमाओ और खुश रहो। खुशियां बांटो और शांति में जियो

इस सच को स्‍वीकार कर आगे बढ़ जाना ही आपका सच्चा कर्मा है। उस वक्त के लिये, इससे बेहतर कोई और उपाय नहीं। और कर्मा का ये नियम ज्यादातर परिस्थितियों पर लागू होता है।

खुद को ईमानदारी से अगर पहचान  लिया तो यह सबसे बड़ी संतुष्टि  है। आप लोगों को नहीं बदल सकते हैं, और न ही अपने रहन स्वभाव को बदल पाना ही आपके बस में है। ये जीवन के जमीन से जुड़ा सबसे बड़ा  सत्य और नियम है।

हमें बचपन से यह हमेशा पढ़ाया जाता है कि परिर्वतन का दूसरा नाम ही जीवन है। इसलिए जीवन के डगर में एक नया परिवर्तन  आता है और हम सब को उस परिवर्तन को स्वीकार का लेना चाहिए । और अपने  जीवन में  की गई  गलतियां,   या देखी गई गलतियों की जिम्मेदारी लेंनी चाहिए  और गलत को गलत, सही  को सही करने का साहस भी रखें।

गलतियों से सीखना एक महत्वपूर्ण कौशल है, जिससे हमें गलती करते ही तुरंत सीख लेने की जरूरत होती है। अन्यथा, हम गलतियां दौहराते रहेंगे और हमारा जीवन नरक हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर, अन्य लोगों की गलतियों से सीखना भी एक कमाल का गुण है।

हमें बस उसे सही से पहचानना आना चाहिए  और उन गलतियों को करने से  कैसे बचा जाए ये पता होना चाहिए , जो बाकी लोगों ने की होती हैं। हम वो हैं जो अपने कार्य से कर्म करते हैं इसलिए अपने भाग्य के ज़िम्मेदार भी हम खुद ही होते हैं।

जो भी करे उसका आंकलन करें और अपने दिल की बात को  सुने। चाहें हालात अच्छे हों या बुरे, अपने दिल की आवाज को कभी अनसुना ना करें, यही हम सबको हमेशा सही रास्ता दिखाता है।

कहा जाता है कि ‘संगति गुण अनेक फल।’ घुन गेहूं की संगति करता है। गेहूं की नियति चक्की में पिसना है। गेहूं से संगति करने के कारण ही घुन को भी चक्की में पिसना पड़ता है।

छोटी सी कोशिश –>    

हमेशा अपने सोच में शुद्धता लाए,  लोगो को खुश रहने दे , और खुद भी खुश रहने की कोशिश करें, दूसरों की मदद करें, अपने से छोटे काम करने वालो के साथ सही  वहवार करें, उनको छोटा ना समझें, हमेशा जितनी जैसी कोशिश हो पाए लोगो की मदद करे। इन छोटे छोटे कामों से भी आप अच्छे कर्म कर के   भाग्य चमका सकते  है.

 

“ज्ञान से  शब्द समझ में आते है…

और अनुभव से  जीवन के अर्थ।।”

 

इस पोस्ट को लिखने वाली तन्वी मिश्रा है।

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