वायरल विडियो में धर्म परिवर्तन की बात करते हुए नज़र आये IAS Mohammad Iftikharuddin, 6 साल पुरानी वीडियो की जांच के लिए UP सरकार ने लगाई SIT.
हाल ही में UP के IAS Mohammad Iftikharuddin की कई वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें वह धर्म परिवर्तन को लेकर बातचीत कर रहे हैं।
वीडियो में उर्दू और अरबी शब्दों का इस्तेमाल हुआ है। जिस में इस्लाम को लेकर बातचीत हो रही है। इस वायरल वीडियो के बारे में बोला जा रहा है कि, IAS Mohammad Iftikharuddin के सामने धर्म परिवर्तन और हिंदू धर्म के खिलाफ बातें हो रही है, फिर भी वह इसको लेकर कुछ आवाज नहीं उठा रहे। बल्कि वो वहीं बैठ कर सब सुन रहे हैं।
आखिर वीडियो में कितनी सच्चाई है और इसमें हो रही बातों का क्या मतलब है? इन सभी चीजों को सामने लाने के लिए, 6 साल पुरानी वीडियो की जांच के लिए UP सरकार ने SIT लगाई। जांच से पहले किसी भी तरह का कोई दावा करना उचित नहीं है, क्योंकि इस वीडियो को देखकर यह नहीं लगता कि कोई जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने को बोल रहा है। कानून के मुताबिक कोई भी अपने धर्म का प्रचार कर सकता है।
IAS Mohammad Iftikharuddin की कई वीडियो वायरल हुई है, लेकिन जिस वीडियो में वह नीचे बैठे हुए हैं और एक मौलवी भाषण दे रहे हैं, उस पर बहुत बवाल हुआ है। विडियो में मौलवी साहब एक कहानी सुना रहे हैं, जोकि एक ऐसी व्यक्ति के बारे में है जिसने दूसरे धर्म से मुसलमान बनकर अपना धर्म परिवर्तन किया था।
ऐसा माना जा रहा है कि, जो वीडियो अब वायरल हो रही है, वो 2016-17 की है। कुछ लोग इस वीडियो को चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं, क्योंकि इतनी पुरानी वीडियो को अब वायरल क्यों किया जा रहा है?
देखा जाए तो संविधान के अनुसार हमें धर्म को लेकर दो प्रकार के अधिकार है, पहला कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मान सकता है और दूसरा हमें अधिकार है कि हम अपने धर्म का प्रचार कर सकते हैं।
IAS Mohammad Iftikharuddin 17 फरवरी 2014 से 22 अप्रैल 2017 तक कानपुर के कमिश्नर रह चुके हैं और उनकी यह वायरल वीडियो उसी वक्त के सरकारी बंगले की बतायी जा रही है।
Kanpur के BJP उपाध्यक्ष Shailendra Tripathi और कर्मचारी नेता Bhupesh Awasthi ने Yogi से इस वीडियो को लेकर ऑनलाइन शिकायत की है। Bhupesh Awasthi में ट्वीट के जरिए CM Yogi Adityanath को लिखा है कि, “कृपया पत्र के साथ संगलन वायरल वीडियो का संज्ञान ले वीडियो में हिंदुओं और सनातन धर्म के विरुद्ध प्रचार प्रसार किया जाना प्रतीत होता है”
Kanpur police ने ट्वीट कर Viral Video पर जांच बैठाने की जानकारी सभी को दी थी। गृह विभाग ने मंगलवार को ट्वीट के जरिए बताया कि, सरकार ने इस मामले की जांच के लिए SIT बना दी है और इसके अध्यक्ष DG- CBCID, Gopal Lal Meena और सदस्य Kanpur के ADG Zone Bhanu Bhaskar रहेंगे। उनको 7 दिनों में सरकार को इसकी रिपोर्ट देनी होगी।
IAS Mohammad Iftikharuddin की वायरल विडियो पर हो रहे बवाल के बारे में Asaduddin Owaisi ने भी tweet के जरिये आपने विचारो को व्यक्त किया है। उन्होंने tweet में लिखा की, “उत्तर प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ IAS Mohammad Iftikharuddin के 6 साल पुरानी वीडियो की जांच के लिए SIT का गठन किया।
वीडियो को अलग नज़रिये से देखा जा रहा है, और यह विडियो उस समय की है जब यह सरकार सत्ता में भी नहीं थी। यह धर्म के आधार पर ज़बरदस्त परियोजना तकलीफ पहुँचा रहे है। यदि पैरामीटर यह है कि किसी भी अधिकारी को धार्मिक गतिविधि से नहीं जुड़ा रहना चाहिए तो कार्यालयों में सभी धार्मिक प्रतीक चित्रों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाएं। यदि केवल घर में आस्था की बात करना अपराध है तो, सार्वजनिक धार्मिक उत्सव में भाग लेने वाले किसी भी अधिकारी को दंडित किया जाना चाहिए।
डबल स्टैण्डर्ड क्यों?”
IAS Mohammad Iftikharuddin की वायरल हो रही video के बारे में हर व्यक्ति की अलग अलग विचारधारा है। लेकिन जो सच है वो जांच के बाद ही सामने आएगा।
- क्या सरकारी अधिकारी और सरकार में बैठे संविधानिक पद पर नेतागणो को अपनी धार्मिक पहचान बनाए रखना जरूरी है?
- क्या सरकारी जगहों और दफ्तरों में धार्मिक प्रतिक चित्रों का होना जरूरी है?
- अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर व्यक्त करे।
By:- Kriti Raj Sinha