बाबा विश्वनाथ मंदिर के महंत राजेंद्र तिवारी जी कह रहे हैं कि असली शिवलिंग तो बाबा विश्वनाथ मंदिर में ही है और उसकी रेगुलर पूजा की जाती है ।
एक टीवी चैनल के डिबेट में अपनी बात रखते हुए महंत जी साफ़ कह रहे हैं कि जिस शिवलिंग को पुरोहित ने औरंगज़ेब के डर से छुपाया था वही असली शिवलिंग है और आज भी बाबा विश्वनाथ मन्दिर में सदियों से पूजित है ।
वह आगे कहते हैं कि बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण में अनगिनत शिवलिंग और मन्दिर तोड़कर होटल बना दिए गए हैं । इसका हिसाब कौन देगा ? ( महंत जी के इतना कहते ही पत्रकार महोदया ने बात का रुख़ पलटने की कोशिश करने लगी।
अब प्रश्न उठता है कि जब असली शिवलिंग पहले से ही बाबा विश्वनाथ मन्दिर में है तो फ़िर याचिका पर कोर्ट और मीडिया कौन से शिवलिंग को ज्ञानवापी के कुएँ में खोज लेने का दावा कर रहा है?
प्रश्न तो यह भी उठता है कि देश में उठते नित नए धार्मिक विवादों से देश का क्या लाभ हो रहा है ।
और सबसे बड़ा सवाल 1991 वरशिप एक्ट के मुताबिक भारत में किसी भी तरह का किसी धार्मिक स्थल के खिलाफ याचिका नहीं ली जा सकती अगर ली जाती है तो यह गैरकानूनी है और याचिका करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और साथ ही जो 1947 में जो जिस तरह का धार्मिक स्थल था उसी तरीके का रहेगा बस उस वक्त बाबरी मस्जिद को छोड़ दिया गया था।
और सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब कोर्ट ने याचिका एक्सेप्ट कर लिया और वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया तो फिर एक पक्ष का वकील वीडियोग्राफी की रिपोर्ट सबमिट होने से पहले यह सूचना कैसे लिक कर दावा कर सकता है कि वह फव्वारा नहीं शिवलिंग है और कोर्ट ने इस बात को मान भी लिया और सिल करने का आदेश दे दिया तो फिर उस वीडियोग्राफी कराने का और रिपोर्ट सबमिट करने का क्या ही मतलब रह गया और निष्पक्षता पर भी उठ रहा है सवाल।
अगर हम मई 2021 की बात करें तो पूरा देश ऑक्सीजन और दवाई के लिए लड़ रहा था और बीमारी का असर कम होते ही पूरा देश धार्मिक रोग जैसी बीमारी में पड़ कर देश के जरूरी मुद्दों से भटक रहा है।