आज के दिन ही, 24 मई 1875 को मलिका विक्टोरिया के 56 वें सालगिरह के मौके पर सर सैयद अहमद खान ने मदरसतुल उलूम मुसलमानान-ए-हिंद की बुनियाद रखी थी, उस समय महज मदरसा से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन जल्द ही कॉलेज मै तब्दील हो कर तालीमी इदारा हो गया, और आगे चल कर इसे सन 1920 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला जिसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी वजूद में आयी।
जब इस मदरसा की बुनियाद रखी गयी थी जब बाद में मोहम्मद अनिल और इंटर कॉलेज बना, उस वक़्त तो फाउंडेशन के नाम से एक कमेटी बनाई तयार की गई थी और लोगों को दिल खोल कर फंड देने को कहा गया था। तब के वायसराय और हिंदुस्तान के गवर्नर जनरल ने 10,000 रुपये का अतिया दिया था जबकि नॉर्थ वेस्टर्न प्रॉविन्सेस के लेफ्टिनेंट गवर्नर जनरल ने 1000 रुपये का अतिया दिया।
मार्च 1874 तक कॉलेज के लिए 1,53,920 रुपये 8 आना जमा हो गए थे। पटियाला के महाराजा महेंद्र सिंह ने 58000 और बनारस के राजा शम्भू नारायण ने 60,000 रुपये का अतिया दिया।
शुरुआत में यह कॉलेज कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड था, 1885 में यह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड हो गया और 1920 में इसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला।
हैदराबाद के 7वें निज़ाम मीर उस्मान अली खान ने साल 1918 में इस इदारे को 5,00,000 रूपये का एक कबीले ज़िक्र अतिया दिया था।
एएमयू की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में 13 लाख किताबें मौजूद हैं। यहां रखी इंडेक्स इस्लामिक्स की कीमत 12 लाख रुपये है। इसके अलावा अकबर के दरबारी फैजी की फारसी में अनुवादित गीता और 400 साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलीपि भी मौज़ूद हैं। मुगल बादशाह जहांगीर के पेंटर मंसूर नक्काश की अद्भुत पेंटिंग भी लाइब्रेरी में मौजूद है।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से हिंदुस्तान की कई अज़ीम शख्सियतें निकली हैं जिनमें दो भारत रत्न, 6 पद्म विभूषण, 8 पद्मभूषण, 53 पद्मश्री और 3 ज्ञानपीठ भी शामिल हैं। इसके अलावा एएमयू ने मुल्क को 5 सुप्रीम कोर्ट के जज व 47 हाई कोर्ट के जज दिए।
कुछ जानकार बताते हैं कि सर सैयद अहमद खान पर कूप का फतवा लगाकर कत्ल करने का हुक्म दे दिया था लेकिन हमे नहीं पता कि सर सैय्यद पर लगा कुफ़्र का फ़तवा जायज़ था या नही अल्लाह बेहतर जानता है। लेकिन आज उनकी उसी एक कोशिश की वजह से लाखों हिन्दुस्तानियों ने उच्च शिक्षा हासिल कर देश मे अपना योगदान दिया और आगे भी देते रहेंगे।
लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेंटर की बात की जाए मलापुरम मुर्शिदाबाद दोनों की हालत तो लगभग ठीक है पर किशनगंज की बात करें तो आज तक उसके लिये पास हुआ 14 करोड़ का फंड आज तक नहीं मिला.
अगर किशनगंज एएमयू. सेंटर की हालत अच्छी हो जाती यकीन मानिए क्षेत्र के आसपास बच्चों को कहीं दूर या फिर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ आकर पढ़ाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी जिससे कि उनकी आर्थिक स्थिति पर भी कोई गंभीर असर नहीं पड़ेगा।
सर सैयद अहमद खान किस मेहनत से और किन हालातों में मुगलिया सल्तनत खत्म होने के बाद मुसलमानों की जो स्थिति बद से बदतर थी भारत के अंदर अंग्रेजों का कब्जा था उस दौर में कैसे एक शख्स मदरसे से शुरुआत कर बाद में कॉलेज बनाता है मोहम्मद अनएंग्लो ओरिएंटेड कॉलेज के नाम से है जब बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है इसके बारे में बता रहे हैं एएमयू पीआरओ उमर पीरजादा.
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