“ एक राष्ट्र, एक चुनाव’ One Nation One Election ”
देश में चुनाव प्रणाली में एक व्यापक सुधार हेतु प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी ने संविधान दिवस (The Constitution Day) पर ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ या ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर जौर दिया है। उन्होंने One Nation One Election को देश को जरुरत बताया और पीठासीन अधिकारियो की भूमिका पर भी चर्ची की। तो आज, हम इस व्यापक कांसेप्ट ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के विषय में चर्चा करेंगे और साथ इसके बारे में आपको समस्त प्रकार की जानकारी उपलब्ध करायेंगे। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ क्या है और इसका क्या मतलब है सहित अन्य बिन्दुओ पर गहन चर्चे करेंगे, साथ आपसे निवेदन की पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख पूरा पढ़े।
हमारे देश में केंद्र और राज्य सरकारों (State Government) द्वारा चुनाव कराने का प्रावधान है जिनमे देश के सभी राज्यों के चुनाव जिन्हें विधानसभा चुनाव (Assembly Election) कहते है, देश के हर एक राज्य में हर 5 साल में कराये जाते है और यही बात केंद्र सरकार के लिए भी है। राज्य और केंद्र स्तर पर होने वाले इस चुनाव की प्रक्रिया को एक साथ एक ही समय पर सम्पन्न कराने का उदेश्य ही ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ है। इससे देश में कई तरह के सुधार संभव है जिनके बारे में आगे चर्चे करेंगे।
- केंद्र और राज्य स्तर के चुनाव के सरकार को अलग से अवकाश नहीं देना पड़ेगा।
- देश में उत्पादन और कार्यशीलता बढ़ेगी।
- आर्थिक (Financial) व विकास कार्य (Development) में चुनाव के कारण होने वाली समस्या नहीं आएगी।
- समय (Time) और पूँजी (Capital) दोनों की बचत होंगी।
- केंद्र और राज्य के समन्वय में सुधार होंगा जोकि पहले संभव नहीं था।
- देश में चुनाव सुधार (Election Reformation) में व्यापक कदम होंगा जिसे विश्व स्तर पर जाना जाएगा।
- देश राजनीति विवादों में कमी आएगी और विकास का माहौल बनेगा।
- अनुचित प्रकार के प्रचार व समय की बर्बादी पर पूर्णता रोक लगेगी।
क्या वाकई इसकी जरूरत है?
December 2015 में लॉ कमीशन ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर एक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें बताया था कि अगर देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाते हैं, तो इससे करोड़ों रुपए बचाए जा सकते हैं। इसके साथ ही बार-बार चुनाव आचार संहिता न लगने की वजह से डेवलपमेंट वर्क पर भी असर नहीं पड़ेगा।
नीति आयोंग (Niti Aayog) ने 2024 से लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव साथ किया जाए, इसका आईडिया भी सरकार को दिया है जोकि अभी पेंडिंग है। इससे पहले देश में 1950 से 1967 तक केंद्र व विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाते थे परन्तु राजनीतिक षडयंत्र के चलते इस प्रणाली को रोक दिया गया। अगर भारत में एक साथ सभी चुनाव होने लगे तो काले धन के प्रवाह पर भी रोक लग सकेगी। इस व्यवस्था को अमल में लाने के बाद सामाजिक रुप से खुशियों का माहौल बनेगा और जातिवाद, धर्म निर्पेक्षता से निजात मिलेगा, साथ ही आपसी भाईचारे को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस प्रकार हमने देखा कि आप किस प्रकार देश में नये चुनाव सुधार की जरुरत है और उसमे किस प्रकार की समस्या भी होंगी जिस पर सरकार को पहले काम करना होंगा। एक सुदृढ़ नीति से इस व्यापक चुनाव सुधार को लागू करना ही होंगा।
जाति धर्म से ऊपर उठकर..
हम सब अच्छे इंसान बने..
मानवता का ध्यान रख कर..
लोकतंत्र की जान बचे..
एक मत का अभियान..
चलो चले करे एक मतदान..
By: Tanwi Mishra