विपक्ष ने दबाया लेकिन नहीं डगमगाए अब्दुल्ला आजम खां के कदम

  • अब्दुल्ला आज़म खां , वो अकेला खड़ा रहा आलोचनाओं में भी 

देश| जब से उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने बागडोर संभाली है तब से आजम खां और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम खां सुर्खियों में है। लेकिन इनके सुर्खियों में होने की वजह वह चाहे जो भी दिखा रहे हो लेकिन संविधान कहता है जब तक की किसी प्रकार का अपराध सिद्ध नहीं हो जाता हम किसी को इंगित करके बार बार उस अपराध का दोषी तो नहीं ठहरा सकते। कुछ इसी प्रकार का है अब्दुल्ला आजम खां का राजनीतिक करियर उन्होंने राजनीति में ज्यों ही कदम रखा मानो विपक्ष के पेट मे मरोड़ उठ गई और उन्होंने जनता के मध्य अब्दुल्ला की छवि बिगाड़ने का काम किया। और ऐसा होता भी क्यों नहीं अब्दुल्ला के पिता आजम खां की राजनीति में बेहतर धमक रही है उन्होंने अपने राजनीतिक स्टाइल से न सिर्फ जनता को लुभाया बल्कि उनका विश्वास भी जीता। पश्चिमी यूपी में लोग पार्टी विशेष के नाम पर नहीं बल्कि आजम ने और अब्दुल्ला खां के नाम पर मतदान करते हैं क्योंकि उन्हें इनकी नीतियों पर विश्वास है और उन्हें लगता है की यह हमारे हित के लिए खड़े होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं क्या है अब्दुल्ला आजम खां का राजनीतिक करियर और इन्होंने कैसे रखा राजनीति में कदम….

जाने कौन है अब्दुल्ला आजम खां:- 

अब्दुल्ला आजम खां जो की भारतीय राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। इनके पिता आजम खां हैं और यह 17 वीं विधानसभा के सदस्य रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के सुअर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं। उन्होंने 2015 में उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय से प्रौद्योगिकी स्नातक और गलगोटिया विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी पूरा किया।

संघर्ष से भरा रहा अब्दुल्ला आजम खां का राजनीतिक जीवन:- 

कहते हैं अगर घर मे राजनेता हो तो घर के अन्य लोगों के लिए राजनीति का रास्ता सहज और सरल हो जाता है। लेकिन अब्दुल्ला आजम खां के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। पिता सपा से वरिष्ठ नेता रहे लेकिन इनके राजनीति में प्रवेश पर ही विपक्ष इनपर हावी हो गया और इन्हें जनता के बीच कुछ अलग ही रूप में प्रस्तुत किया। विपक्ष की ऐसी नीतियों पर किसी ने सवाल तो नहीं उठाया लेकिन क्या संवैधानिक रूप से इस तत्व को सही कहा जा सकता है की बिना अपराध सिद्ध हुए किसी को दोषी कहना और उसपर अनगढ़ आरोप लगाना। इनके राजनीतिक करियर की शुरुआत तो वर्ष 2015 में हुई थी लेकिन यह पूर्ण रूप से राजनीति में योगी की सरकार के कार्यकाल मे आए कड़ी आलोचना के बाद भी 2017 में यह विधायक बने लोगों का इन्हें समर्थन प्राप्त हुआ और इन्होंने यह सिद्ध किया की आलोचना सत्य पर हावी नहीं हो सकती और जनता चीजों को समझने में चूक सकती है लेकिन देंखने में नहीं।

आजम खां ने रामपुर जिले के सुअर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं इन्होंने जीत हासिल कर विधायक का चुनाव जीत । जीत के तुरंत बाद फिर एक नई कहनी बनी यह सवालों के घेरे में आ गए इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 16 दिसंबर 2019 को चुनावी हलफनामे में विसंगति के कारण उन्हें विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। लेकिन इतना सब होने के बाद भी आजम खां ने हिम्मत नहीं हारी और अपने संघर्षों के बलबूते पर राजनीति में खड़े हैं।

By. Priyanshi Singh

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