अलीगढ़, 20 जूनः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने भू-तकनीकी इंजीनियरिंग विभाग, ग्रामीण इंजीनियरिंग विभाग (आरईडी), सिविल इंजीनियरिंग विभाग, जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी द्वारा आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम इंजीनियरों एवं कार्मचारियों के लिए आयोजित किया गया है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य इंजीनियरिंग एवं कर्मचारियों के तकनीकी कौशल को बढ़ाना और उन्हें नवीनतम विकास से अवगत कराना है। इसमें लगभग 60 इंजीनियरों और कार्यालय के कर्मचारियों ने भाग लेने के लिए पंजीकरण कराया है।
उद्घाटन समारोह में बोलते हुए प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि देश की 75 प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक जरूरतों से संबंधित सुविधाओं में सुधार से देश में लोगों के विस्थापन में कमी आएगी। सभी जगहों का संतुलित विकास हो। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इंजीनियरों और कार्यालय के कर्मचारियों को उनकी ताकत और कमजोरियों को समझने में मदद करेगा।
गेस्ट ऑफ ऑनर इंजीनियर मुहम्मद अकरम (अधीक्षण अभियंता, आरईडी, अलीगढ़) ने जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम रेड इंजीनियरों और कार्यालय कर्मचारियों की क्षमताओं को बढ़ाएगा।
प्रोफेसर एम. अल्तिमाश सिद्दीकी, डीन, फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ने प्रतिभागियों को बताया कि जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की शुरुआत 1935 में सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तीन विभागों के साथ हुई थी। उन्होंने प्रतिभागियों को एएमयू के खूबसूरत परिसर से परिचित होने के लिए प्रोत्साहित किया।
बाद में कुलपति ने सिविल इंजीनियरिंग विभाग में भूकंप इंजीनियरिंग लैब और जियोटेक्निकल लैब का भी उद्घाटन किया।
कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर एमएम सुफियान बेग ने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेज की यूजी स्तर पर दस शाखाएं और विभिन्न पीजी कार्यक्रम हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम परस्पर लाभकारी होते हैं।
सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. अब्दुल बाकी ने विभाग की उपलब्धता और नए पाठ्यक्रमों का उल्लेख किया।
कोर्स कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर मलिक शोएब अहमद ने चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी दी। प्रोफेसर मसरूर आलम ने कार्यक्रम का संचालन किया और प्रो. आईएच फारूकी ने आभार व्यक्त किया।