जनपद हापुड़ के गाजियाबाद का धौलाना विधानसभा 2012 के मुताबिक यहां पर 300000 से भी ज्यादा वोटर्स है जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय का काफी बड़ा भूमिका रहता है.
धौलाना विधानसभा पहली बार 2008 में घोषणा हुई थी जिसका पहला चुनाव 2012 में और दूसरा चुनाव 2017 में हुआ था अब 2022 में अब तीसरी बार यहां से विधानसभा चुनाव जाएगा और देखना यह है कि यहां की विधानसभा पर किसका कब्जा होगा।
आपको बतादें धौलाना विधानसभा गाजियाबाद में 2012 मैं समाजवादी पार्टी धर्मेश सिंह तोमर को जीत मिली थी बीएसपी के नेता असलम चौधरी के खिलाफ और वोट का अंतर लगभग 10,000 वोट के करीब था.
और वहीं 2017 में असलम चौधरी को बीएसपी पार्टी से रमेश चंद्र तोमर के खिलाफ बीजेपी से जीत मिली थी वह भी बहुत कम वोट का अंतर था. और वही उस वक्त के मौजूदा विधायक समाजवादी पार्टी के धर्म सिंह तोमर तीसरे नंबर पर आए थे.
हाल ही में विधायक असलम चौधरी बसपा छोड़ सपा में आ गए धर्मेंद्र सिंह तोमर समाजवादी छोड़ भाजपा में चले गए.
धौलाना विधानसभा गाजियाबाद लोकसभा जनपद का हिस्सा है।
UP Election 2022 की बात की जाए तो यहां पर कई सारे उम्मीदवार हैं कई सारे नए चेहरे हैं जहां पहले सिर्फ समाजवादी और बसपा में मुकाबला था वही अब बसपा, सपा, एम आई एम, बीजेपी एवं आम आदमी पार्टी मैं आपस में मुकाबला है.
आम आदमी पार्टी से चौहान, बीजेपी से धर्मेश सिंह तोमर, बीएसपी से बासिद प्रधान, समाजवादी से असलम अली चौधरी, एमआईएम से हाजी आरिफ।
2012 में असलम चौधरी बीएसपी से चुनाव लड़े धर्मेश सिंह तोमर समाजवादी पार्टी से हार गए और अब असलम चौधरी समाजवादी से लड़ रहे हैं और धर्मेश सिंह तोमर बीजेपी से एम आई एम से हाजी आरिफ कैसे करेंगे मुकाबला।
2012 के आंकड़ों के मुताबिक तीन लाख से ज्यादा वोटिंग होने वाली सीट है.
हाल ही में अल्पसंख्यक समुदाय के अंदर काफी नाराजगी देखी जा रही है वजह यह है कि गाजियाबाद से दिल्ली की ओर लौट रहे टोल प्लाजा के पास देश के मशहूर सांसदों में से एक असदुद्दीन ओवैसी के ऊपर कई राउंड फायरिंग की गई।
वहां पर लोग बता रहे हैं कि इस बार का मुकाबला सरकार में बैठे सत्तापक्ष पार्टी से होगा और ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रत्याशी हाजी आरिफ को अल्पसंख्यक और वंचित समाज का पूरा समर्थन मिल रहा है जिससे मौजूदा विधायक असलम चौधरी को अपनी सीट गवानी भी पड़ सकती है।
और यहां पर असदुद्दीन ओवैसी कई रैलियां और जनसभा कर चुके हैं और अल्पसंख्यक और वंचित समाजों का काफी वर्चस्व वाला क्षेत्र है अब यह 10 मार्च का नतीजा ही तय करेगा कि धलोना विधानसभा गाजियाबाद कि सीट किस के खाते में जाएगी।