लड़कियों की विवाह की आयु सीमा 18 वर्ष से 21 वर्ष करने का प्रावधान असंवैधानिक और दलित विरोधी है।

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परचम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सैयद अली अमीर ने गैर संवैधानिक बताते हुए कहा

संविधान 18 वर्ष के नागरिक को बिना लैंगिक भेद भाव के मताधिकार प्रदान करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तथा विशेष रूप से गरीब वंचित दलित समाज के लिए दबंग जाति के बाहुबलियों से अपनी बेटी की अस्मत की सामाजिक सुरक्षा का एकमात्र विकल्प बेटी का हाथ पीले करने का सपना होता है।

पता नहीं मोदी जी किन तथ्यों के आधार पर आयु सीमा आगे बढ़ा रहे है।जीव विज्ञान के अनुसार वयस्क होने की आयु सारे विश्व में 18 वर्ष निर्धारित है।

बहुत से विकसित देशों में विवाह की आयु 18 वर्ष ही है
मोदी जी के इस काले कानून से उनके लिए और भी समस्या बढ़ जाएगी कृषि कानून में भी यही हुआ था।

लेकिन किसान मजबूत थै इस लिए सरकार को झुकना पडा। दलित एवं वंचित समाज में इतना दम कहां है जो इस बाहुबली सरकार को झुका सके।

बस यही प्रार्थना की जा सकती है की सरकार को सद्बुद्धि आए और वह महात्मा गांधी के उस तिलिस्मान पर ध्यान दे सके.

जब भी कोई कदम उठाना तो पहले ये देख लेना कि समाज में सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।

Parcham Party of India (PPI) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सैयद अली अमीर साहब द्वारा दी गई है इसकी जानकारी प्रवक्ता नाजिम इलाही ने दी है।

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