19 नवंबर ग्रुपरवा के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश से माफी मांगते हुए किसानों को धरना खत्म कर घर लौटने की अपील की थी और यह कहा था कि शायद हमारी तपस्या में कुछ कमी थी कि हम अपने कुछ किसान भाइयों को सच्चाई नहीं समझा सके.
कुछ राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है उत्तर प्रदेश आगामी विधानसभा 2022 को देखते हुए फिर उसके बाद पंजाब और उत्तराखंड के भी चुनाव होने हैं उसको नजर में रखते हुए भी यह फैसला हो सकता है.
अगर यही सही है कि चुनाव को देखते हुए कृषि कानून बिल को वापस लिया गया है तो फिर एक राष्ट्र और एक चुनाव के ऊपर सोशल मीडिया पर जो बहस छिड़ जाती है तो समय-समय पर चुनाव होना क्यों जरूरी है इस मौके का अंदाजा को लगाते हुए समझा जा सकता है.
केंद्र में मोदी सरकार ने संसद में कहां यह किसान आंदोलन में मारे गए किसानों की कोई भी जानकारी नहीं है. फिर मुआवजा कैसा?
कुछ सांसदों के पूछे जाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में चल रहे सीता कालीन सत्र में एक सवाल के जवाब में लोकसभा में यह लिखित जवाब दिया था उन्होंने यह भी कहा कि किसानों से 11 राउंड बातचीत हुई पर बात बनी नहीं?
वही किसानों का दावा है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हुई है.