Personal data संरक्षण विधेयक संयुक्त संसदीय समिति ने स्‍वीकारा, कांग्रेस-टीएमसी सांसदों ने जताई असहमति

जयराम रमेश के अलावा, मनीष तिवारी ने भी एक असहमति नोट लिखा, जिसमें कहा गया था कि प्रस्तावित कानून का मूल डिजाइन कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा।

 

करीब दो साल तक चली लंबी चर्चा के बाद निजी डेटा सुरक्षा विधेयक से संबंधित संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट को सोमवार को स्वीकार कर लिया गया।

 

इसमें उस प्रावधान को बरकरार रखा गया है, जो सरकार को अपनी जांच एजेंसियों को इस प्रस्तावित कानून के दायरे से मुक्त रखने का अधिकार देता है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, मनीष तिवारी और अन्‍य विपक्षी दलों के नेताओं ने निजता में दखल देने, पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी आदि के लिए सरकार की शक्तियों पर आपत्ति जताते हुए कानून का विरोध किया। उन्‍होंने इस प्रावधान और कुछ अन्य बिंदुओं को लेकर अपनी ओर से असहमति का नोट भी दिया।

 

आज होने वाली बैठक का मकसद पर्सनल डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 पर संयुक्त समिति की एक मसौदा रिपोर्ट पर विचार करना और उसे अपनाना होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2019 में पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल इस विधेयक को मंजूरी दी थी। ये विधेयक  भारतीय नागरिकों के डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा से संबंधित है। आपको बता दें कि अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद इसका मसौदा तैयार किया गया था।  जिसमें मौलिक अधिकारों खासतौर से  ‘निजता के अधिकार’ पर जोर देने का जिक्र था।

 

इस विधेयक के फायदे 

 

ये बिल सीधा हमारी जिंदगी से जुड़ा हुआ है। इस विधेयक का उद्देश्य लोगों को गोपनीयता की सुरक्षा देना है, इसके अलावा व्यक्तिगत डेटा के इस्तेमाल पर संस्थाओं की जवाबदेही, और व्यक्तिगत डेटा और संस्थाओं के बीच विश्वास पैदा करने के साथ व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना है।

150 देश कर रहे थे भारत के इस कदम का इतंजारसमिति की तरफ से प्रस्तावित संशोधनों में करीब 170 संशोधन अध्यक्ष पीपी चौधरी द्वारा प्रस्तावित किए गए।इस समिति ने प्रस्तावित कानून का बारीकी से अध्ययन किया।

सूत्रों ने बताया कि लगभग 150 देश भारत को खुद का अपना डेटा संरक्षण कानून बनाने का इंतजार कर रहे थे।

जयराम नरेश ने जताई असहमति, इस बिल को लेकर कुछ लोगों ने अपनी असहमति भी जताई थी। कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने अपने असहमति नोट में कहा कि उन्होंने बिल के सेक्शन 35 में संशोधन का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा कि सेक्शन 35 केंद्र सरकार को किसी भी सरकारी एजेंसी को इस पूरे एक्ट से छूट देती है जिसका मतलब निकलता है सरकारी एजेंसियों को बिना किसी रोक टोक के अधिकार मिलेगा। उन्होंने कहा कि मैंने संशोधन में कहा था कि सरकार को सरकारी एजेंसियों को छूट देने से पहले संसदीय मंजूरी लेनी होगी।

सदन के सदस्यों के आग्रह पर संसदीय जांच के अधीन था। अब इस विधेयक को लेकर समिति ने फाइनल रिपोर्ट तैयार कर ली है।

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