श्रीनगर में श्री महाराजा हरि सिंह हॉस्पिटल को PM केयर्स फंड की तरफ से तीन कंपनियों को 165 वेंटिलेटर्स दिए थे, जिसमें से कोई भी काम नहीं कर रहा है। वहां की दो कंपनियों पर वेंटिलेटर की गुणवत्ता को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं।
स्टोरी कवरेज
कोविड की दूसरी लहर के टाईम पीएम केयर्स को तरफ से श्रीनगर के SHMS और दूसरे हॉस्पिटल्स को दिए गए सभी 165 वेंटिलेटर खराब मिले हैं। बताया जा रहा है कि बेस्ट क्वालिटी के वेंटिलेटर न होने की वजह से मरीजोंपर इनका इस्तेमाल नहीं मिला पाया और ज्यादातर वापस भेजे दिए गए। इसका खुलासा सरकारी मेडिकल कालेज श्रीनगर के जन सूचना अधिकारी की ओर से एक RTI के जवाब में हुआ है। वहीं, जम्मू-कश्मीर मेडिकल फैसिल्टी निगम का कहना है कि situation को देखते हुए ज्यादा संख्या में भेजे गए ये वेंटिलेटर लो रेंज के थे, जिनमें सीमित सुविधाएं होती हैं।
जम्मू से कार्यकर्ता बलविंदर सिंह द्वारा RTI act के तहत मिले हुए पेपर्स के मुताबिक, हॉस्पिटल अथॉरिटी ने कहा कि इसमें से ज्यादातर डिवाइस ‘upgrade नही थे’ और ये वेंटिलेटर अचानक से बंद हो जा रहे थे, जो मरीजों का जीवन खतरे में डालने जैसा है।
द वायर की जानकारी अनुसार बताया जा रहा कि उन्हें कई डॉक्टरों से जानकारी मिली थी कि ‘ये वेंटिलेटर्स किसी काम के नहीं हैं’। वैसे हॉस्पिटल्स की टार्फसे ऐसी कोई बयान बाजी नही हुई और ना ही वहां के लोगों ने इस दावे का प्रमाण दिया है।
साल 2020 के बीच में कई RTI फाइल किए गए, लेकिन पहली अपील के बाद ही उन्हें इसका जवाब मिला। श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) में एनेस्थिसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख ने दिए गए जवाबो में उन बातों की पुष्टि की,और स्वीकार है की जो भी डॉक्टरों ने उन्हें बताया था वो सब सच है।
साल 2020 के बीच में कई RTI फाइल किए गए, लेकिन पहली अपील के बाद ही उन्हें इसका जवाब मिला। श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) में एनेस्थिसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख ने दिए गए जवाबो में उन बातों की पुष्टि की,और स्वीकार है की जो भी डॉक्टरों ने उन्हें बताया था वो सब सच है।
श्रीनगर के हॉस्पिटल को भारत वेंटिलेटर्स से 37 यूनिट, ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन लिमिटेड से 125 यूनिट और एजीवीए (AgVa) वेंटिलेटर्स से तीन यूनिट वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे, जिसमें से सभी खराब निकले थे। इसके कारण उन्होंने वापस SMSH को मशीनें वापस भेज दी गई।
वही मिली जानकारी के अनुसार वहीं, AgAv एक ऐसी कंपनी थी, जिसने पहले कभी कोई वेंटिलेटर नहीं बनाया था, और इसके बावजूद उसे PM केयर्स से 10,000 वेंटिलेटर्स सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। स्वास्थ्य मंत्रालय की टेक्निकल टीम ने इसके वेंटिलेटर्स को वेरिफाई करने से पहले ही ऐसा किया गया था।
मई 2021 में औरंगाबाद मेडिकल कॉलेज ने कहा था कि ज्योति सीएनसी की 150 यूनिट में से 58 वेंटिलेटर्स खराब निकले थे। वही जून 2021 में न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट ने बताया था कि पीएम केयर्स फंड के 5,500 वेंटिलेटर स्वास्थ्य मंत्रालय के वेयरहाउस में खराब पड़े हैं।
By : Tanwi Mishra
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