देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो बच्चों की नीति सहित कुछ कदम उठाने संबंधी जनहित याचिका में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पक्ष बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक नयी याचिका दायर की गई है।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा यह याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या विस्फोट देश के प्राकृतिक संसाधनों पर अत्यधिक बोझ सहित कई समस्याओं का मूल कारण है।
देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम स्वैच्छिक प्रकृति का है, जिसने दंपतियों को उनकी पसंद और बिना किसी मजबूरी के अपने परिवार का आकार तय करने और परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने में सक्षम बनाया है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट यह महसूस करने में विफल रहा कि सभी नागरिकों के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 और 21ए के तहत प्रदत्त स्वच्छ हवा, पेयजल, स्वास्थ्य, शांतिपूर्ण नींद, आश्रय, आजीविका और शिक्षा के अधिकार की गारंटी जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित किए बिना हासिल नहीं की सकती।
बांग्लादेशियों और रोहिंग्या को जोड़ें तो हमारी आबादी चीन से ज्यादा
अब जनसंख्या वृद्धि की दर पर लगाम कसने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर करते हुए अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि हाई कोर्ट स्वच्छ हवा के अधिकार, पेयजल, स्वास्थ्य, शांतिपूर्ण नींद, शेल्टर, आजीविका और सुरक्षा की गारंटी देने वाले संविधान के अनुच्छेद 21 को मजबूत करने में सफल नहीं रहा है।
अर्जी में कहा गया कि जनसंख्या विस्फोट के चलते इन अधिकारों पर कोई काम नहीं हो पा रहा है। हाई कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया था कि देश आबादी के मामले में चीन से भी आगे निकल गया है। इसके पीछे तर्क देते हुए कहा गया था कि 20 फीसदी आबादी के पास तो आधार कार्ड ही नहीं है। इसके अलावा देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को जोड़ लिया जाए तो फिर यह संख्या चीन से ज्यादा ही है।
जनसंख्या विस्फोट को बताया जघन्य अपराधों की मूल वजह
इस अर्जी में कहा गया था कि जनसंख्या विस्फोट के चलते ही भ्रष्टाचार में इजाफा हो रहा है। इसके अलावा जघन्य अपराधों की भी मूल वजह यही है। रेप, घरेलू हिंसा जैसे मामले इसकी ही देन हैं। इउन्होंने कहा कि आबादी के विस्फोट के चलते पलूशन में इजाफा हो रहा है और धरती पर प्राकृतिक संसाधनों में कमी देखने को मिल रही है।
By: Tanwi Mishra
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