आज एक तरफ जहाँ तमाम तरह की खबरों ने सोशल मीडिया पर कब्ज़ा किया हुआ है हर तरफ ड्रग्स और लखीमपुर खीरी का मामला गरमाया हुआ है वही देश में बिजली संकट का मुद्दा गहरा गया है।
देश की सरकारों ने दशकों से हमें यही बताया है कि हम उन्नति के रस्ते पर है, नित नयी उचाइयां छु रहे है इंफ्रास्टक्टर की बात की जाये या रोजगार की हर तरफ डाटा या नयी योजनाएं हमे गिना दी जाती हैं हो भी सकता है की सर्कार इस पर अपना काम कर रही है।
बात अब ये आती है की इतनी तरक्की के बाद ये सुन ने में आता है की देश में ब्लैक -आउट हो सकता है। कोयले की कमी के कारण बिजली संकट पैदा हो सकता है। कई राज्यों में बिजली प्लांट बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। दिल्ली में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा हुआ है तो पंजाब के थर्मल प्लांटों मरीन सिर्फ दो दिन का कोयला शेष बचा है।
कोयले की कमी के कारण बिजली संकट पैदा होने का खतरा बढ़ गया है। कई राज्यों में बिजली प्लांट बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। दिल्ली में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा है तो पंजाब के थर्मल प्लांटों में सिर्फ दो दिन का कोयला शेष है। शनिवार को जरूरत के मुकाबले आधी बिजली का उत्पादन ही हो सका, जिसकी वजह से छह घंटे तक कटौती करनी पड़ी। जम्मू-कश्मीर में भी छह घंटे बिजली कटौती हुई है। झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र में आठ से दस घंटे की कटौती हो रही है। गुजरात, राजस्थान, और तमिलनाडु सहित कई अन्य राज्यों में बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ।
सबसे चिंताजनक स्थिति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर तुरंत समस्या का समाधान निकालने की अपील की है। उन्होंने पत्र में उन बिजली संयंत्रों में कोयले की उपलब्धता की जानकारी दी है, जिनसे दिल्ली को बिजली मिलती है। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार संयंत्रों के पास कोयले का लगभग 20 दिन का भंडार होना चाहिए, लेकिन यह कम होकर एक दिन का रह गया है। इस कारण गैस आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भरता बढ़ी है, लेकिन उनके पास भी पर्याप्त गैस नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। इस बीच, टाटा पावर दिल्ली डिस्टि्रब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) ने उपभोक्ताओं को एसएमएस भेजकर संभावित बिजली कटौती को लेकर सचेत किया है।
दिल्ली से सटे हरियाणा में बिजली का कोई संकट नहीं है, लेकिन पंजाब में हालात गंभीर होते जा रहे हैं। पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पावरकाम) ने कमी को पूरा करने के लिए अन्य कंपनियों से भी बिजली खरीदी, लेकिन फिर भी दो से छह घंटे तक बिजली कट लगाने पड़े। राज्य में 177 फीडर दो घंटे, 68 फीडर चार घंटे और 17 फीडर छह घंटे के लिए बंद रहे। बिजली कट लगने से पावरकाम को एक ही दिन में 27 हजार शिकायतें मिलीं, जबकि शुक्रवार को 24 हजार शिकायतें मिली थीं। मुख्यमंत्री चरणजीत ¨सह चन्नी ने समीक्षा बैठक कर समझौते होने के बावजूद उचित मात्रा में कोयला सप्लाई न करने वाली कंपनियों का नोटिस लेते हुए कहा कि तेजी से घट रहे कोयले के भंडार के कारण पावरकाम के थर्मल प्लांट बंद हो गए हैं। लिहाजा, कंपनियां तुरंत कोयले की सप्लाई बढ़ाएं।
कोयले की स्थिति के बारे में पारवरकाम के डायरेकटर (जनरेशन) इंजीनियर परमजीत सिंह ने कहा कि वर्तमान में थर्मल प्लांटों में कोयला है और अगली स्थिति के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर बातचीत चल रही है। पंजाब के गोइंदवाल थर्मल प्लांट में सिर्फ तीन दिन के लिए 5.9 मीट्रिक टन कोयला बचा है। इसके अलावा, लहरा मोहब्बत में 10 दिनों के लिए 8.59 टन, राजपुरा प्लांट में 11 दिनों के लिए 19.7 टन, रोपड़ में 14 दिनों के लिए 7.76 टन और तलवंडी साबो प्लांट में 14 दिन लायक 18.2 टन कोयला बचा है।
बात समझ में ये नहीं आती की जब ऐसी संकट आ सकती है तो इसके लिए पहले से कोई इंतजाम क्यों नहीं किया गया।
क्या ये अचानक से संकट आगया और क्या सरकार इसके लिए तैयार क्यों नहीं थी मान सकते है कोरोना की दूसरी लहर में हमें नहीं पता था की वायरस इस तरह जानलेवा होजायेगा और ऑक्सीजन की आपूर्ति संकट गहरा जायेगा।
क्या हमारे देश के ऊर्जा मंत्री या कोई भी ऐसा मंत्री जो इसके लिए जिमेवार है उसे इसकी व्यवस्था पहले से नहीं करनी चाहिए थी
अब देखना ये है की इस संकट से हमारा देश कैसे उबरता है और इसके लिए कैसे -कैसे बंदोबस्त किये जाते है।
By; Poonam Sharma
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