चार दिन बाद भी बलवाईयों का नहीं पकड़ा जाना, नीतीश कुमार की पुलिस का शर्मनाक कारनामाः नजरे आलम

समस्तीपुर आधारपुर मामले की जाँच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराए राज्य सरकारः बेदारी कारवाँ

दरभंगा- पिछले 21 जून को समस्तीपुर जिला के आधारपुर पंचायत का चकनिजाम गांव बलवाईयों की नजर रहा, देखते ही देखते बलवाईयों ने तीन लोगों की जान ले ली। हद तो तब हो गई जब पुलिस मुकदर्शक बनी रही और सारा मामला बलवाईयों ने पुलिस के सामने ही अंजाम दिया। सरकारी शिक्षिका सनोबर खातुन को जिस बेरहमी से मारा गया, उसके जिस्म के सारे कपड़े फाड़ दिए गए उससे से साबित होता है।

नीतीश कुमार की पुलिस पूरी तरह से बलवाईयों के आगे नतमस्तक हो गई थी या फिर बलवाईयों को समर्थन कर रही थी। श्रवण कुमार राय की हत्या के बाद बहुसंख्यक समुदाय के लागों ने जिस प्रकार से सनोबर खातुन और मो0 अनवर की हत्या कर दी उससे यह तो साफ है कि यह पूरा मामला अचानक से नहीं हुआ बल्कि पूरी प्लानिंग के तहत इस पूरी घटना को अंजाम दिया गया और फिर बाद में बलवाईयों ने खुदको फंसता देख इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की। श्रवण की जिसने भी हत्या की उसकी घोर निंदा करता हूं लेकिन यह जांच का विषय था कि श्रवण की हत्या किसने और क्यों किया? और श्रवण की हत्या के बाद पुलिस ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से आधारपुर में अविलंब सुरक्षा बल क्यों नहीं तैनात किया?

अगर सुरक्षाबल अविलंब तैनात किया जाता तो शायद सनोबर खातुन और मो0 अनवर की जान बलवाई नहीं ले पाते। सनोबर खातुन की बेटी नुसरत के ब्यान के मोताबिक एक साजिश के तहत पूरे मामले को अंजाम दिया गया और मो0 हसनैन के घर में चलने वाले सी0एस0पी0 में लूटपाट करने के लिए आए बलवाईयों ने मो0 हसनैन को बंधक बना लिया जब इसका विरोध किया गया तो उसपर भी जानलेवा हमला कर दिया गया, नुसरत प्रवीण जो सनोबर खातुन की बेटी है और पूरी घटना की चश्मदीद गवाह है उसने साफ साफ कहा कि सी0एस0पी0 लूटने आए सभी बलवाईयों ने हमारे घर में लूटपाट की, रूपया जेवर तक लूट लिया, घर के बाहर खड़ी गाड़ियों और घरों में आग लगा दिया गया साथ ही नुसरत ने यह भी कहा कि हमारी दो बहनों को भी बलवाइयों ने जान मारने की नियत से हमला किया और पानी में डूबोकर बहुत मारा, किसी तरह वो लोग जान बचा सकी। इन सारे मामलात को देखने के बाद यह तो स्पष्ट है कि बिहार में अब कानून का राज नहीं बल्कि दंगाईयों, बलवाईयों, अपराधियों का राज कायम हो गया है। नीतीश कुमार की पुलिस इन दिनों ऐसे ही लोगों को संरक्षण देने में लगी है इसी का परिणाम है कि आधारपुर में इतनी बड़ी घटना घटी और चार दिन बीत जाने के बाद एक भी बलवाईयों को पुलिस ने गिरफतार नहीं किया है।

उक्त बातें मिडिया से करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्षर नजरे आलम ने कहा कि नीतीश कुमार की पुलिस का बिहार में लगातार शर्मनाक चेहरा देखने को मिल रहा है।

चार दीन बीत जाने के बाद भी इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने वाले बलवाईयों को सुशासन बाबु की पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है ये बहुत अफसोसनाक मामला है। ऐसा लगता है कि पुलिस बलवाईयों के साथ मिली हुई है और जानबूझ कर गिरफ्तार नहीं कर रही है। सुशासन बाबु की जुबान भी खामोश हैं। श्री आलम ने बताया कि बलवाईयों की गिरफ्तारी नहीं होने के कारण इलाके में दहशत का माहौल है, लोग अपने अपने घरों में डरे सहमें हुए हैं, कुछ लोग जो गांव छोड़ कर भाग गए थे वो भी लौटकर नहीं आ रहे हैं।

श्री आलम ने यह भी कहा कि इतनी बड़ी घटना पर सरकार की खामोशी चिंताजनक है, बहुसंख्यक बलवाईयों को बचाने में नीतीश कुमार की पुलिस लगी हुई है इसलिए नीतीश कुमार और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जाँच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाए और बलवाईयों को जेल की सलाखों में डाले। श्री आलम ने यह भी कहा कि इस पूरे मामले में राज्य सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री तमाशा देख रहे हैं और अपने आका के कहने पर निंदा का ब्यान से काम चलाने की सोच रहे हैं।

जब्कि अल्पसंख्यक मंत्री को चाहिए कि वह फौरन घटनास्थल पर जाए और मामले की निष्पक्ष जांच करवाए और दोषियों को सजा दिलवाए। सिर्फ गांव गांव जाकर नीतीश सरकार की झूठी तारीफ करने से अल्पसंख्यक वोट नहीं मिलने वाला है।

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