Amu News प्रोफेसर शमीम जयराजपुरी के निधन पर शोक
Aligarh Muslim University अलीगढ 11 जनवरीरू अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय समुदाय ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक, विद्वान और शिक्षाविद प्रोफेसर मोहम्मद शमीम जयराजपुरी के दुखद निधन पर शोक व्यक्त किया, जिनका 10 जनवरी की सुबह उनके दिल्ली आवास पर निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे।
उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए, amu acting vc Professor Mohammad Gulrez ने कहा कि प्रोफेसर जयराजपुरी ने नेमाटोड के वर्गीकरण के क्षेत्र में जीवित किंवदंती का दर्जा प्राप्त कर लिया था और उनका एएमयू के साथ एक लंबा और गहरा जुड़ाव था।
Founding Vice Chancellor of Maulana Azad National Urdu University, MANNU Hyderabad
वह एएमयू में डीन रहे और उन्हें टैक्सोनॉमी के लिए प्रतिष्ठित जानकी अम्मल राष्ट्रीय पुरस्कार (1999) प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त हुआ था। वह आईएनएसए-फेलो (2004-2009) भी थे और उन्होंने मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के संस्थापक कुलपति के रूप में भी अपनी सेवायें दी थीं।
amu acting vc Professor Mohammad Gulrez ने कहा कि “प्रोफेसर जयराजपुरी के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। मैं उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं और दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करता हूं। ईश्वर उनके परिवार और प्रियजनों को यह दुख सहने की शक्ति दे।
जंतु विज्ञान विभाग में आयोजित एक शोक सभा में शिक्षकों और छात्रों ने प्रोफेसर जयराजपुरी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके सहयोगियों और छात्रों के प्रति उनके मित्रतापूर्ण और दयालु व्यक्तित्व के लिए उन्हें याद किया।
शोक संदेश पढ़ते हुए विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुख्तार अहमद खान ने कहा कि यह प्रोफेसर जयराजपुरी के परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों और छात्रों के लिए एक बड़ी क्षति है जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि विभाग और संकाय उनके परिवार द्वारा महसूस किए गए दुःख में बराबर का साझी है और स्वर्ग में एक उच्च स्थान के लिए प्रार्थना करता है।
प्रोफेसर जयराजपुरी (जन्म अप्रैल 1942) ने अपनी उच्च शिक्षा एएमयू से पूरी की और 1970 में एएमयू से मानद डी.एससी. की उपाधि प्राप्त की। उन्हें वर्ष 1964 में जंतु विज्ञान विभाग में व्याख्याता नियुक्त किया गया और बाद में 2004 में अपनी सेवानिवृत्ति से पहले, उन्होंने जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष (1988-89 और 1997-1998) और जीवन विज्ञान संकाय के डीन (1993-95 और 1997-98), के रूप में कार्य किया।
इससे पूर्व उन्होंने एएमयू में कृषि केंद्र के समन्वयक के रूप में कार्य किया और 1993 में कृषि संस्थान के संस्थापक निदेशक बने।
प्रोफेसर जयराजपुरी ने पौधे और मिट्टी के नेमाटोड पर अग्रणी शोध किया है और कई पुस्तकों सहित अंतरराष्ट्रीय ख्याति की पत्रिकाओं में 350 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं।
उनके द्वारा उर्दू में लिखित उनकी जीवनी ‘चंद यादें चंद बातें’ की आलोचकों ने काफी सराहना की है।
उन्हें 1999 में पहला जानकी अम्मल राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, जो भारत सरकार, पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा प्रदान किया गया और नेमाटोड के वर्गीकरण (1964-2004) पर उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया। मार्च 2000 में, थर्ड वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज, ट्राइस्टे, इटली ने उन्हें अपना फेलो चुना और उसी वर्ष उन्हें इंडियन सोसाइटी फॉर पैरासिटोलॉजी (आईएसपी) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया।
उन्हें 2007 में इंडिया इंटरनेशनल फ्रेंडशिप सोसाइटी (आईआईएफएस), नई दिल्ली द्वारा ‘उत्कृष्टता प्रमाण पत्र’ के साथ ‘शिक्षा रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
प्रोफेसर जयराजपुरी को 2000 में प्रोफेसर हर स्वरूप मेमोरियल व्याख्यान देने और 1989-1991 के दौरान भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के निदेशक के रूप में कार्य करने का सम्मान प्राप्त हुआ। अल-अमीन एजुकेशनल सोसाइटी, बैंगलोर (कर्नाटक) ने उन्हें 2009 के प्रतिष्ठित ‘अल-अमीन ऑल इंडिया कम्युनिटी लीडरशिप अवार्ड’ से सम्मानित किया।
उनके परिवार में उनकी पत्नी प्रोफेसर दुर्दाना जयराजपुरी और 3 बेटियां सुश्री शीबा इकबाल जयराजपुरी, सुश्री दीबा शमीम जयराजपुरी और डॉ. जीबा जयराजपुरी हैं।