कोरोना महामारी के दौरान भी चुनाव अपने देश में रुकते नहीं है चाहे बिहार का चुनाव हो या बंगाल का या फिर आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव.
भारतवासी बड़ी खुशनसीब है चाहे भले उनकी जरूरत की चीजें वक्त मिले ना मिले बिजली सस्ती या महंगी हो खानपान सस्ता या महंगा हो कोई रेलवे संसाधन और बस संसाधन वक्त पर मिले ना मिले पर अपने तय सीमा पर चुनाव होना लाजिमी है.
29 नवंबर को अभी उत्तर प्रदेश के लोगों ने सही से आंखें भी नहीं खुली होंगी उसी दौरान रामगंगा नदी पर बना पुल अचानक गिर गया पर हमें कोई फिक्र नहीं जब सुबह उठेंगे तो फिर एक टीवी पर विज्ञापन देखेंगे कि वोट करिए और लोकतंत्र बचाइए.
अच्छी खबर रही कि कोई घायल नहीं हुआ शाहजहांपुर में रामगंगा नदी पर बना दो किलोमीटर लंबा पुल अपने क्षेत्र के कई इलाकों को जोड़ता था जो सुबह ही लगभग 3:00 बजे के करीब यह हादसा हुआ जिसका पुल का एक बड़ा हिस्सा नदी में गिर गया.
साल था 2002 उस वक्त उत्तर प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल चल रही थी तभी मायावती मुख्यमंत्री हो रही थी तो कभी मुलायम सिंह यादव तो फिर कभी राजनाथ सिंह और कुछ वक्त राष्ट्रपति शासन भी लागू रहा उसी कशमकश के बीच 11 करोड़ की लागत से रामगंगा नदी पर कोलाघाट पुल बनाने की मंजूरी मिली वर्ष 2008 में पर आगमन शुरू हुआ.
हालांकि पुल में लगे घटिया मटेरियल की वजह से समस्याएं आनी शुरू हो गई और स्थानीय लोगों ने वहां के लोकल प्रशासन को अवगत कराया और जांच के आदेश भी दिए गए.
अगर आप सारी चीजों पर गौर करें तो एक बात समझने के लिए काफी हो कि एक आम जनता का समझदार होना कितना जरूरी है क्योंकि नेता कैसा होगा यह आप पर भी निर्भर करता है इसका निर्माण मायावती के दौर में हुआ शिलान्यास मुलायम सिंह यादव जी ने किया और मरम्मत ना होने के कारण पुल योगी सरकार के दौर में गिर गया।
तो अब आप तय करें कि इसका जिम्मेदार सत्ता में बैठी वक्त वक्त पर पार्टी हुई या फिर कोई पार्टी विशेष हुई।