आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में सपा की हार का कारण: एडवोकेट असद हयात

2019 के मुक़ाबले कम वोट पाकर भी बीजेपी हारी हुई सीटें 2022 में जीती.

” सच बात मान लीजिए, चेहरे पर धूल है,
इल्ज़ाम आइनों पे लगाना फिज़ूल है ”

उत्तरप्रदेश लोकसभा उप चुनाव 2022 के नतीजे बता रहे हैं कि समाजवादी पार्टी दोनों सीटें जिनको उसने 2019 में जीता था, इस बार 2022 में नहीं बचा पायी और चुनाव हार गयी. दोनों सीटों पर बीजेपी की जीत के कारण अलग अलग हैं. 2022 में आज़मगढ़ में सपा और बसपा के बीच वोटों का विभाजन होना कारण है जो 2019 में नहीं हुआ था तो रामपुर में सपा के परंपरागत मतदाताओं का कम मतदान होना सपा की हार का कारण है. बहाना चाहे जो तलाश किया जाए, लेकिन सपा को यह तो बताना ही होगा कि 2022 में रामपुर में अपने मतदाताओं को वह पोलिंग बूथ पर क्यों नहीं ला सकी. दोनों ही सीटों पर बीजेपी को 2019 के मुक़ाबले कम वोट मिला लेकिन वह दोनों सीटें 2022 में जीत गयी.
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आज़मगढ़ —

आज़मगढ़ में सपा और बसपा के बीच वोटों का विभाजन होना, बीजेपी की जीत का कारण है.

बीजेपी के दिनेश निरहुआ ने 2019 में आज़मगढ़ सीट पर 3,61,704 वोट पाए थे और वे 2,59,874 वोट से चुनाव हारे थे. जबकि 2022 में दिनेश निरहुआ को उतना वोट तो नहीं मिला जितना वो 2019 में हासिल किये थे लेकिन 8679 वोट से वो उपचुनाव में विजयी रहे.

इसका एकमात्र कारण है कि बसपा के गुड्डू जमाली ने 2,66,210 वोट 2022 के उपचुनाव में लिया जो कि 2019 में सपा को इसलिए मिला था क्यूंकि तब बसपा चुनाव नहीं लड़ी थी और सपा के अखिलेश के साथ गठबंधन में थी और कांग्रेस उम्मीद वार भी नहीं था.
इसका अर्थ है कि 2022 में बीजेपी अपने उम्मीद वार को 2019 में कुल हासिल वोटों से कम वोट लेकर इसलिए जीत सकी क्यूंकि सपा और बसपा के बीच वोटों का विभाजन हो गया

2019 में अखिलेश 2,59,874 वोट से चुनाव जीते थे.

2019 में अखिलेश यादव सपा को वोट मिले = 621578
दिनेश निरहुआ बीजेपी को वोट मिले = 361704

राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल अनिल सिंह = 6763

आजमगढ़ में 2022 में कुल 909000 वोट पड़ा जिसमें

बीजेपी 312768 = 34.39%

सपा 304089 = 33.44%

बसपा 266210 = 29.27%
इस तरह बीजेपी प्रत्याशी दिनेश निरहुआ 8679 वोट से जीते.
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रामपुर 2022 —–

बीजेपी उम्मीदवार को 2022 में 3,67, 397 वोट मिला जबकि 2019 के चुनाव में बीजेपी की जयाप्रदा को 4,49,180 और कांग्रेस के संजय कपूर को 35009 वोट मिला था. इसका अर्थ है कि बीजेपी 2019 में हासिल वोटों से भी 81783 कम वोट लेकर 2022 में उपचुनाव जीत गयी . आज़म ख़ान को 2019 में 5,59,127 वोट मिले थे और 2022 में सपा 3,25,205 वोट ही ले पायी यानि 2,33, 922 सपा का वोटर 2022 में मतदान स्थल पर वोट डालने नहीं आया. 2019 चुनाव में 63.19% मतदान हुआ जबकि 2022 में 39.02 % मतदान सपा करा सकी. यही सपा की हार का बड़ा कारण है

2022 में —
बीजेपी को प्राप्त वोट=367397
सपा को प्राप्त वोट = 325205
बीजेपी जीती =42192 वोट

2009 में जयाप्रदा सपा से जीती
2014 जयाप्रदा बीजेपी जीती

2019 में आज़म ख़ान को 559127 वोट मिले और वे 109997 से जीते थे जबकि
जयाप्रदा बीजेपी को 449180 वोट मिले थे. संजय कपूर कांग्रेस को 35009 वोट मिले थे .

रामपुर में मुस्लिम मतदाता क्यों नहीं वोट डालने आये : कारण

मेरी निजी राय में सपा उम्मीदवार डमी उम्मीदवार साबित हुए. आज़म ख़ान या किसी अन्य जुझारू व्यक्ति को चुनाव लड़ना चाहिए था. नामांकन से पहले तक यह उतार चढाव होता रहा कि उम्मीदवार सपा से कौन होगा. लेकिन एक दूसरा बड़ा कारण भी है.

दूसरा कारण — 2019 में लोकसभा चुनाव आज़म ख़ान ने जीता था. 2019 दिसम्बर में CAA /NRC के विरोध में रामपुर में भी प्रदर्शन हुए और एक मुस्लिम युवक की गोली लगने से मृत्यु हुई. अवाम का कहना था कि पुलिस की गोली युवक को लगी तो पुलिस का कहना था कि प्रदर्शनकारी पुलिस को निशाना बनाकर गोली चला रहे थे. पुलिस ने खासी तादाद में गिरफ़्तारी कीं और वसूली नोटिस भी भेजे. अवाम का कहना था कि सपा की ओर से कोई मदद जनता को नहीं मिली और नतीजे में अवाम के मन में डर बैठ गया. मृतक युवक के परिजनों ने कोई FIR भी नहीं की और न कोई चश्मदीद गवाह ही सामने आया.

2022 चुनाव के दिन भी डर का माहौल बना और लोग घरों में बैठ गये.

सवाल यह है कि सपा के नेता और कार्यकर्त्ता 2019 से 2022 तक जनता का डर दूर क्यों नहीं कर सके और कहाँ रहे ?

सिर्फ कड़कती आवाज़ से जुझारू होना साबित नहीं होता… लोकतान्त्रिक रूप से मज़बूत नेतृत्व जुझारू होकर करना पड़ता है. रामपुर में आज़म ख़ान परिवार के अलावा सपा की बागडोर ज़मीनी स्तर पर संभालने वाला कोई नहीं.

गुमराही का शऊर ले डूबा_
_तुझको बस एक तेरा क़ुसूर ले डूबा_
_ख़ूबियाँ तो तुझमें बहुत थीं लेकिन_
_तुझको तेरा ग़ुरूर ले डूबा_

असद हयात
नयी दिल्ली

असद हयात सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील है अपने राजनीतिक सुझाव के लिए जाने जाते हैं।

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