हाल ही में ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) ने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ या ‘इन्क्रीज्ड मॉनिटरिंग लिस्ट’ में बनाए रखा है।
पाकिस्तान कई कोशिशों के बावजूद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से बाहर निकलने में कामयाब नहीं हो पाया। वहीं (FATF) की नई सूची में पाकिस्तान के साथ साथ
तीन और देश जॉर्डन, माली और तुर्की शामिल किए गए हैं।
पाकिस्तान तब तक ग्रे लिस्ट में रहेगा जब तक कि वह जून 2018 में सहमत मूल कार्य योजना में शामिल सभी मदों के साथ-साथ FATF के क्षेत्रीय साझेदार- ‘एशिया पैसिफिक ग्रुप’ (APG) द्वारा साल 2019 में सौंपे गए समानांतर कार्य योजना में शामिल सभी मदों को सही ढंग से संबोधित नहीं करता है।
- पाकिस्तान सरकार की दो समवर्ती कार्य योजनाएँ हैं, जिसमें कुल 34 मद शामिल हैं।
- पाकिस्तान ने इस दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है और उसने जून 2018 में सहमत मूल कार्य योजना के 27 में से 26 मदों को संबोधित किया है। वित्तीय आतंकवाद से संबंधित मद को अभी भी संबोधित किया जाना शेष है।
- साल 2019 की कार्य योजना मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग की कमियों पर केंद्रित थी।
ग्रे – लिस्ट में पाकिस्तान क्यों है?
पाकिस्तान आतंकी संगठनों और आतंकवादियों पर कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। इसलिए पाकिस्तान अभी ग्रे-लिस्ट में बरकरार है। मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को लगातार काबू न कर पाने के चलते पाकिस्तान जैसे देशों को सेफ टैक्स हैवन्स भी करार दिया जाता है।
FATF ने सलाह दी थी कि पाकिस्तान को अपनी छह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिये काम करना जारी रखना चाहिये, जिसमें मनी-लॉन्ड्रिंग कानून में संशोधन करके अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना और यह प्रदर्शित करना शामिल है कि ‘UNSCR 1373’ संकल्प को सही ढंग से लागू किया जा रहा है।
UNSC संकल्प 1373 को 28 सितंबर 2001 को अपनाया गया था। यह अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिये खतरे के रूप में घोषित करता है और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों पर बाध्यकारी दायित्व लागू करता है।
- पाकिस्तान को पहली बार वर्ष 2008 में सूची में रखा गया था, वर्ष 2009 में इसे सूची से हटा दिया गया था और फिर वर्ष 2012 से 2015 तक बढ़ी हुई निगरानी में रहा।
- पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में शामिल होने से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे वैश्विक निकायों से उसे वित्तीय सहायता प्राप्त करने की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force-FATF)
- FATF, वर्ष 1989 में पेरिस में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान स्थापित एक अंतर-सरकारी निकाय है।
- यह किसी देश के धन-शोधन-विरोधी और आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण ढाँचे की ताकत का आकलन करता है, हालाँकि यह व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है।
उद्देश्य:
इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिये मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अन्य संबंधित खतरों से निपटने के लिये मानक निर्धारित करना तथा कानूनी, नियामक एवं परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
सदस्य देश:
FATF में वर्तमान में 39 सदस्य हैं जिनमें दो क्षेत्रीय संगठन – यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद शामिल हैं। भारत FATF का सदस्य है।
By: Tanwi Mishra